जिले में पराली जलाने के अब तक 51 मामले सामने आ चुके हैं। कृषि विभाग की ओर से धान के फसल अवशेष जलाने के मामले में किसानों पर दो लाख 65 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा चुका है। कृषि विभाग के अधिकारी व ग्राम स्तर की कमेटी की देखरेख के बावजूद धान के फसल अवशेष जलाने के मामलों में दिन प्रतिदिन बढ़ोतरी होती जा रही है।
कृषि विभाग के अधिकारी लोकेशन मिलते ही मौके पर पहुंचते हैं और किसानों को समझाने का प्रयास करते हैं। किसान न समझे तो उनको 2500 रुपये प्रति एकड़ तक जुर्माना लगाया जाता है। वहीं जिले के दस गांव बाउपुर, थे-बनेड़ा, देवबन, खुराना, नरड़, अटेला, मलिकपुर, मेघा माजरा, तारांवाली व खानपुर में फसल अवशेष जलाने के मामले में सुधार हुआ है। यह गांव रेड जोन से ग्रीन जोन में शामिल हो गए हैं।
पराली को जलाने की बजाय मिट्टी में मिलाएं
पराली प्रबंधन के नोडल अधिकारी और सहायक कृषि अभियंता जगदीश मलिक ने कहा कि खेतों में धान की कटाई 80 प्रतिशत हो चुकी है। 25 अक्तूबर से किसान गेहूं की बिजाई शुरू कर देंगे। उन्होंने कहा कि किसान धान के फसल अवशेष को जलाने के बजाय उसका प्रबंधन करें। सरकार की ओर से किसानों को मशीनें मुहैया करवाई जा रही हैं। इनसे पराली को खेत में आसानी से मिला सकते हैं। पराली मिट्टी में मिलने के बाद कुछ समय में ही गल सड़ जाती है। इससे मिट्टी में जैविक तत्वों को बढ़ाने, पोषक तत्वों को बनाए रखने व मिट्टी की संरचना को सुधारने में मदद मिलती है। धान की कटाई के बाद ही अब गेहूं की बिजाई शुरू हो जाएगी। अत्याधुनिक उपकरणों की सहायता से किसान एक बार में ही धान की पराली का प्रबंधन व गेहूं की बिजाई कर एक साथ ही कर सकते हैं।