Chhath Puja 2023 first day : छठ पर्व का चार दिनों तक मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत आज गई है। आज नहाय खाय का पर्व मनाया गया। साथ ही इसका समापन 19 नवंबर को छठ पूजा के दिन संध्या अर्घ्य देकर किया जाएगा। नहाय खाय का समय आज सूर्योदय सुबह 06 बजकर 45 मिनट पर हुआ था। वहीं सूर्यास्त शाम 05 बजकर 27 मिनट पर होगा। ऐसे में आज के दिन सुबह 11 बजकर 38 बजे तक नहाय खाय बरौना कर लिया गया।
यह व्रत बहुत ही कठिन माना जाता है। इसमें 36 घंटों तक कठिन नियमों का पालन करते हुए इस व्रत को रख जाता है। छठ पूजा का व्रत रखने वाले लोग चौबीस घंटो से अधिक समय तक निर्जल उपवास रखते हैं। इस पर्व का मुख्य व्रत षष्ठी तिथि को रखा जाता है, लेकिन छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से हो जाती है, जिसका समापन सप्तमी तिथि को प्रातः सूर्योदय के समय अर्घ्य देने के बाद समाप्त होता है।

नहाय खाय का महत्व
नहाय खाय जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट होता है – स्नान करके भोजन करना। इस दिन नहाय खाय के दिन व्रत करने वाली महिलाएं नदी या तालाब में स्नान करती हैं। इसके बाद कच्चे चावल का भात, चना दाल और कद्दू या लौकी का प्रसाद बनाकर उसे ग्रहण करती हैं। माना जाता है कि नहाय खाय का यह भोजन साधक में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है। साथ ही यह भी माना जाता है कि इस दिन व्रत करने वाले साधक इस सात्विक द्वारा खुद को पवित्र कर छठ पूजा के लिए तैयार होते हैं।

नहाय खाय के नियम
नहाय खाय के दिन साफ-सफाई का विशेष महत्व होता है। इस दौरान कई नियमों का भी ध्यान रखा जाना जरूरी है। ऐसे में इस दिन प्रसाद का भोजन बनाते समय स्वच्छा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। भोजन बनाने से पूर्व स्नान कर लें और हाथों की स्वच्छा का ध्यान रखें। भूलकर भी किसी जूठी चीज जैसे बर्तन का इस्तेमाल न करें। साथ ही इस दिन व्रती के साथ-साथ परिवार के अन्य सदस्यों को भी सात्विक भोजन ही करना चाहिए।

छठ पूजा या व्रत के लाभ
जिन लोगों को संतान सुख ना मिल पा रहा हो, उन लोगों को इस व्रत से अद्भुत लाभ होता है। अगर संतान पक्ष से कष्ट हो तो भी ये व्रत लाभदायक होता है। अगर कुष्ठ रोग या पाचन तंत्र की गंभीर समस्या हो तो भी इस व्रत को रखना अच्छा माना जाता है। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य की स्थिति खराब हो उन लोगों को भी इस व्रत को जरूर रखना चाहिए।

नहाय खाय का संबंध शुद्धता से
नहाय खाय की परंपरा निभाई जाती है। आज के दिन व्रती नदी या तालाब में स्नान कर कच्चे चावल का भात, चना दाल और कद्दू या लौकी प्रसाद के रूप में बनाकर ग्रहण करती हैं। इस भोजन को बहुत शुद्ध और पवित्र माना जाता है। नहाय खाय का संबंध शुद्धता से है। इसमें व्रती खुद को सात्विक और पवित्र कर छठ का व्रत शुरु करती है।

आज के दिन कद्दू-भात खाने का विशेष महत्व
कद्दू की सब्जी को पूरी तरह से सात्विक माना जाता है। इसलिए यही खाकर छठ पूजा व्रत की शुरुआत की जाती है। माना जाता है कि इसे खाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है। सेहत के लिहाज से कद्दू आसानी से पचने वाली सब्जी है। यही वजह है कि छठ व्रती आज कद्दू का सेवन करते हैं।

नहाय खाय चौघड़िया मुहूर्त
चर (सामान्य)-सुबह 06.45-सुबह 08.05
लाभ (उन्नति)-सुबह 08.05-सुबह 09.25
शुभ (उत्तम)-दोपहर 12.06-दोपहर 01.26
