हरियाणा में सरकारी स्कूलों की खस्ताहालत को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को फटकार लगाने के साथ 5 लाख का जुर्माना लगाया। साथ ही हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव व स्कूली शिक्षा निदेशक को 15 दिसंबर को व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट के सामने हाजिर होने के आदेश दिए गए हैं।
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के जज जस्टिस विनोद भारद्वाज ने वीरवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान हरियाणा के शिक्षा विभाग को कड़ी फटकार लगाते हुए 5 लाख का जुर्माना लगाया। सरकारी स्कूल में मूलभूत सुविधाओं की कमी को लेकर कैथल जिले के बालू स्कूल के छात्रों ने अपने वकील प्रदीप कुमार रापड़िया के माध्यम से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार की शिक्षा विभाग से एफिडेविट के माध्यम से स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की कमी के बारे में विस्तार से जानकारी मांगी थी। जिसके जवाब में जो आंकड़े व तथ्य सामने आये वो चौंकाने वाले हैं।
प्रदेश के छात्रों के लिए 8240 क्लास रूम की भी है जरूरत
शिक्षा विभाग द्वारा दिए गए एफिडेविट के मुताबिक हरियाणा के 131 सरकारी स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा नहीं है। 236 स्कूलों में बिजली कनेक्शन ही नहीं हैं। 538 स्कूलों में लड़कियों के लिए और 1047 स्कूलों में लड़कों के लिए शौचालय नहीं है। इसके अलावा कोर्ट को बताया गया कि छात्रों के लिए 8240 क्लास रूम की जरूरत है।
शिक्षा विभाग ने 10,675,99 करोड़ की ग्रांट को बिना उपयोग किए सरकार को भेजा वापस
याचिकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील प्रदीप रापड़िया और रिपु दमन बूरा ने हाईकोर्ट को बताया कि एक तरफ तो बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और खुले में शौच मुक्त भारत जैसे नारे दिए जा रहे हैं, दूसरी तरफ स्कूलों में शौचालय व पीने के पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं हैं। इन सुविधाओं के लिए स्कूली बच्चों को मजबूरन हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ता है।
हाईकोर्ट में दिए गए ऐफिडेविट के मुताबिक जहां हरियाणा के सरकारी स्कूलों में शौचालय, पीने के पानी, बिजली कनेक्शन जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी है, वहीं शिक्षा विभाग ने 10,675,99 करोड़ रुपये की ग्रांट को बिना उपयोग किए सरकार को वापस भेज दिया।
शिक्षा विभाग पर लगाया 5 लाख रुपये का जुर्माना
हाईकोर्ट ने कहा कि हरियाणा सरकार कोर्ट के सामने सिर्फ आंकड़ों का खेल खेल रही है, धरातल पर कोई काम नहीं कर रही। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि एक तरफ भारत सरकार स्वच्छ भारत मिशन का नारा देते हुए हर घर में शौचालय उपलब्ध करवाने का दावा कर रही है। वहीं दूसरी तरफ लड़कियों के 538 स्कूलों में शौचालय ही नहीं हैं और दिन प्रतिदिन स्कूली छात्राओं के शोषण के मामले सामने आ रहे हैं।
हरियाणा सरकार की स्कूली बच्चों के हितों के प्रति संवेदनहीनता व एफिडेविट के चौंकाने वाले आंकड़ों की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए उनसे एक हफ्ते के अंदर सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की पूर्ति के लिए समय सीमाबद्ध योजना पेश करने के आदेश दिए हैं।