हरियाणा सरकार द्वारा प्रस्तुत हरियाणा मृत शरीर के सम्मान विधेयक के ड्राफ्ट में अब अस्पताल संचालकों की अनवांछित क्रियाओं पर नियंत्रण लगाने की तैयारी है। इस विधेयक के अनुसार, मृत शरीर के सम्मान के मामले में अब जब बिल बकाया होने की स्थिति होती है, तो अस्पताल संचालक शव को जबरदस्ती नहीं रख सकते हैं।
प्रदेश के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज की आपत्ति के बाद, विधेयक में खास प्रावधान किया जा रहा है। इस विधेयक के पहले ड्राफ्ट में शव को सड़क पर रखकर जाम लगाने के पहलुओं को शामिल किया गया था, लेकिन गृह मंत्री ने इस पर आपत्ति जताई थी। विज ने कहा है कि इस प्रकार के विधेयकों को लाने से पहले व्यावहारिक जानकारी जुटाना जरूरी है और इससे पहले उस राज्य का अध्ययन करना चाहिए, जहां ऐसे कानूनों का पहले से ही अनुप्रयोग हो रहा हो।
मृत शरीर की गरिमा को सुनिश्चित करना है विधेयक का उद्देश्य
विधेयक के माध्यम से सरकार का उद्देश्य मृत शरीर की गरिमा को सुनिश्चित करना है, और इसमें यह भी शामिल किया जा रहा है कि किसी की मौत पर उसकी शरीर की गरिमा को ठेस पहुंचाना कानूनी रूप से गलत है। इससे हो सकते हैं ऐसे मामले जहां किसी गरीब व्यक्ति की मौत होने पर उसके शव के पैसे नहीं होने के कारण रोका जा रहा है।
मृत शरीर सम्मान विधेयक में, डीएसपी और एसएचओ को अधिकार दिए जाएंगे कि वे अपने स्तर पर मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में समय से शव का अंतिम संस्कार करवाएं। इसमें यह भी शामिल है कि पुलिस अधिकारियों की ओर से परिजनों को राजी किया जाएगा परंतु यदि ऐसा नहीं होता, तो उन्हें संस्कार करने का पूरा अधिकार होगा।
विधेयक में सार्वजनिक जगहों पर अकुंश लगाने की कही बात
विधेयक में सार्वजनिक जगहों पर शव के साथ प्रदर्शन करने पर अंकुश लगने की बात की गई है ताकि सड़क जाम की घटनाओं को रोका जा सके। इसमें सजा और जुर्माने का प्रावधान भी है जिससे सामाजिक असुरक्षा बनी रहे। इस विधेयक के साथ सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन भी हैं, जिसमें रोड जाम करने के खिलाफ पहले से ही प्रावधान हैं। इससे सुप्रीम कोर्ट की दिशा में बदलाव नहीं होगा और पुलिस अधिकारियों को भी सहारा मिलेगा।