करनाल में पूर्व विधायक जिले राम ने सोमवार को कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। इतना ही नहीं उनके साथ इंद्री विधानसभा से इनेलो प्रत्याशी रहे प्रदीप कंबोज सहित 116 लोग भी भाजपा में शामिल हुए। इन सभी को सीएम मनोहर लाल और प्रदेश अध्यक्ष नायब सैनी ने भाजपा का पटका पहनाकर पार्टी में शामिल किया।
बता दें कि पूर्व विधायक जिले राम एक महीने पहले पूर्व सरपंच कर्म सिंह के सुसाइड केस में बरी हुए थे। इस केस में वह 9 महीने जेल भी काट चुके हैं, उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट मिलने की चर्चा है। जिले राम शर्मा ने कहा कि हमने पार्टी जॉइन करने के लिए कोई शर्त नहीं रखी है। न तो कोई पद और न ही कहीं से टिकट मांगी। मैं भाजपा की नीतियों से प्रभावित होकर पार्टी में शामिल हुआ हूं।
वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नायब सैनी ने कहा कि जिले राम का पूरा मान-सम्मान करेंगे। उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार ने देश और प्रदेश मजबूती के साथ बदला है। आज दूर दराज बैठे व्यक्ति तक सरकार पहुंच रही है।
समय करेगा चुनाव लड़ने का फैसला
वहीं जिले राम शर्मा से सवाल पूछा गया कि आप लोकसभा चुनावों की तैयारी कर रहे हैं या फिर विधानसभा की। जिस पर उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि फिलहाल मेरी कोई तैयारी नहीं है। अगर पार्टी हाईकमान मौका देगी तो विधानसभा चुनाव लड़ूंगा। लोकसभा की हमारी कोई तैयारी नहीं है, मेरी तरफ से कोई शर्त नहीं रखी गई है। असंध विधानसभा में भाजपा अपना सर्वे करवाएगी, अगर हम मेरिट में आ जाते हैं, तो फैसला पार्टी का होगा और जो फैसला होगा, वह स्वीकार्य होगा। अगर भाजपा में भी टिकट नहीं मिलती है तो क्या फिर आजाद चुनाव लड़ेंगे, इस सवाल पर शर्मा ने कहा कि यह समय बताएगा।
9 माह काट चुके जेल, सीबीआई कोर्ट ने किया था बरी
जिले राम एक महीने पहले करनाल में कंबोपुरा गांव के पूर्व सरपंच कर्म सिंह की मौत के मामले में सीबीआई की विशेष कोर्ट ने जिले राम शर्मा को बरी किया था। 2014 में वह 9 माह जेल में भी रह चुके हैं। जिले राम पर कर्म सिंह को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप लगे थे। आरोप था कि कर्म सिंह से 3 लोगों को नौकरी दिलाने के लिए 12 लाख रुपए लिए थे, लेकिन नौकरी नहीं दिलाई और न ही पैसे लौटाए। ऐसे में कर्म सिंह ने जहर खाकर सुसाइड कर लिया था।
2009 में हजकां टिकट पर लड़ा था चुनाव
दो बार आजाद चुनाव लड़ चुके जिले राम जिले राम शर्मा ने असंध से 2009 में हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) की टिकट पर चुनाव लड़ा था। जिसके बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए थे, तब कांग्रेस सरकार ने इन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया था। फिर उन्होंने 2014 व 2019 में आजाद चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें हार मिली।