कॉकरोच हमारे आसपास पाए जाने वाले सबसे आम कीट है। इसे तिलचट्टा भी कहते है यानि की तेल चाटने वाला कीट। बताया जाता है कि इस कीट ने काली मिर्च की टोकरियों में 320 मिलियन साल पहले अपना घर बनाया था। ये ऐसा किट है जो हमारे किचन में भी मिल जाते है, तो कभी स्टोर रुम में। लेकिन ये फैलाते हमेशा बीमारी ही है। पर क्या आप कॉकरोचों के बारे में सबकुछ जानते है। बोर्निया की गुफाओ में रखी इन काली मिर्च की टोकरियों में इसका बसेरा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक बताया जाता है कि बोर्निया के मसाला व्यापारियों ने सूखी काली मिर्च का दूसरे देशों में व्यापार किया जिससे ये कॉकरोच दुनियाभर में अपनी प्रजाति फैलाते गए। पेस्ट कंट्रोल इंडस्ट्री को कामयाब बनाने का श्रेय कॉकरोच को ही जाता है। कॉकरोच टाइफाइड बीमारी का कारण होते है। ऐसा भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान की एक रिसर्च में दावा किया गया था।

कॉकरोच ऐसा जानवर है जो सिर कटने के बाद भी नहीं मरता। वो सिर काटने के बाद भी कई दिनों तक जिंदा रह सकता है। कॉकरोच की मौत भूखा रहने से होती है।

कॉकरोच धरती पर सबसे तेजी से प्रजनन करने वाले जीव होते है। ये धरती पर पहुंचने वाले सबसे पुराने कीटों में से एक है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक कॉकरोच धरती पर डायनासोर से भी पहले आए थे। डायनासोर की तुलना में कॉकराच 120 मिलियन साल पहले आए। कॉकरोच अपने दो पैरों से भी दौड सकते है।

कॉकरोच खुद के बनाए हुए परिवेश में रहना पंसद करते है।

ये खुद के पड़ोसी भी बनाते है और अपनी जरुरत के हिसाब से समाज भी बनाते है। अमेरिका में कॉकरोच की एक ऐसी प्रजाति मिली है जो बर्फ जमने की ठंड में जीवित रह सकते है।

कॉकरोच अकेले कहीं नही जाते बल्कि झुंड में जाते है। इतना ही नहीं ये काफी समय तक अकेला भी नहीं रह सकते। अगर ये ऐसा करते है तो बीमार पड़ जाते है।

कॉकरोच भी सांप की तरह अपनी उपरी सतह छोड़ता है। कॉकरोच कैंपाइलोबेक्टर नाम की बीमारी भी फैलाते है, जिससे व्यक्ति को डायरिया, उल्टी-दस्त, बुखार, पेट दर्द, टाइफाइड और पैराटाइफाइड हो सकता है।

