High Court gives big relief to Haryana Government

High Court ने दी हरियाणा सरकार को बड़ी राहत, Karnal विधानसभा सीट उपचुनाव को रद्द करने वाली याचिका खारिज

पंचकुला

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट(High Court) ने हरियाणा सरकार को एक बड़ी राहत दी है। उन्होंने करनाल(Karnal) विधानसभा सीट के उपचुनाव को रद्द करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। इससे उपचुनाव का रास्ता साफ हो गया है।

मामले की सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने कहा कि महाराष्ट्र के अकोला विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव को रद्द करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को याचिका में आधार बनाया गया है, लेकिन हम इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने जा रहे हैं। वहां पर भी विधानसभा कार्यकाल एक वर्ष से कम होने के कारण उपचुनाव को रद्द करने का आदेश जारी किया गया है। करनाल के निवासी कुनाल ने याचिका दाखिल करते हुए हाईकोर्ट को बताया कि 13 मार्च को तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पद से इस्तीफा दे दिया था। अगले दिन विधानसभा में बहुमत परीक्षण पास करने के तुरंत बाद उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इससे करनाल विधानसभा सीट खाली हो गई थी। उसी समय नायब सैनी को हरियाणा का मुख्यमंत्री बना दिया गया और करनाल विधानसभा सीट के लिए चुनाव आयोग ने उपचुनाव की घोषणा की।

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याचिका में महाराष्ट्र के अकोला विधानसभा क्षेत्र का हवाला देते हुए बताया गया कि इस सीट के लिए चुनाव आयोग ने 15 मार्च को अधिसूचना जारी कर 26 अप्रैल को चुनाव करवाने का निर्णय लिया था। बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस फैसले को चुनौती दी थी और उसने चुनाव अधिसूचना को रद्द किया, क्योंकि विधानसभा का कार्यकाल एक वर्ष से कम होने में समय बचा है। इस आदेश के बाद आयोग ने 27 मार्च को अकोला निर्वाचन क्षेत्र के उपचुनाव को रोक दिया।

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आयोग के पास नहीं होता उपचुनाव का अधिकार

याचिका में कहा गया कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 151-ए के अनुसार यदि विधानसभा का कार्यकाल एक वर्ष से कम है, तो चुनाव आयोग के पास उपचुनाव करने का अधिकार नहीं होता है। दोनों के उपचुनाव के लिए एक ही अधिसूचना जारी की गई थी, तो करनाल के मामले में भी ऐसा ही किया जाना चाहिए था।

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बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने जा रहा आयोग

चुनाव आयोग ने बताया कि अब सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटिशन दाखिल करते हुए आयोग बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने जा रहा है। इस तरह के फैसले के आधार पर करनाल के उपचुनाव को रद्द नहीं किया जाना चाहिए। हरियाणा सरकार ने भी अपनी दलीलें रखीं और कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब इस प्रकार मुख्यमंत्री चयनित होने के बाद उप चुनाव हुए हों।