Giriraj Temple : भारत के उत्तर प्रदेश के मथुरा में एक प्रमुख हिन्दू मंदिर है। जिसका नाम गिरिराज मंदिर है। यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है और इसे “गिरिराज धाम” भी कहा जाता है। गिरिराज मंदिर की स्थापना 1990 में की गई थी और यह मंदिर अपनी आकर्षक और महान वास्तुशिल्प के लिए जाना जाता है। सदियों से यहां दूर-दूर से भक्तजन गिरिराज जी की परिक्रमा करने आते रहे है। परिक्रमा जहां से शुरु होती है वहीं पर एक प्रसिद्ध मंदिर भी है जिसे दानघाटी मंदिर कहा जाता है। गिरिराज के ऊपर और आसपास गोवर्ध्दन गांव बसा है और एक मानसादेवी का मंदिर है।
मानसीगंगा पर गिरिराज का मुखारविन्द है जहां उनकी पूजा होती है और आषाढ़ी पूर्णिमा तथा कार्तिक की अमाव्सया को मेला लगता है। गोवर्द्धन में सुरभि गाय, ऐरावत हाथी और एक शिला पर भगवान् का चरणचिह्न है। मानसी गंगा पर जिसे भगवान ने अपने मन से उत्पन्न किया था, दीवाली के दिन जो दीपमालिका होती है, उसमें मनों घी खर्च किया जाता है, शोभा दर्शनीय होती है। यहां लोग दण्डौती परिक्रमा करते हैं। दण्डौती परिक्रमा इस प्रकार की जाती है कि आगे हाथ फैलाकर जमीन पर लेट जाते हैं और जहां तक हाथ फैलते हैं, वहां तक लकीर खींचकर फिर उसके आगे लेटते हैं।

चार कुण्ड
इसी प्रकार लेटते-लेटते या साष्टांग दण्डवत् करते-करते परिक्रमा करते हैं जो एक सप्ताह से लेकर दो सप्ताह में पूरी हो पाती है। यहां गोरोचन, धर्मरोचन, पापमोचन और ऋणमोचन- ये चार कुण्ड हैं तथा भरतपुर नरेश की बनवाई हुई छतिरयां तथा अन्य सुंदर इमारतें हैं। मथुरा से दीघ को जाने वाली सड़क गोवर्द्धन पार करके जहाँ पर निकलती है, वह स्थान दानघाटी कहलाता है। यहाँ भगवान् दान लिया करते थे। यहाँ दानरायजी का मंदिर है। इसी गोवर्द्धन के पास 20 कोस के बीच में सारस्वतकल्प में वृंदावन था तथा इसी के आसपास यमुना बहती थी।
भव्य भवन शैली और शिल्प कला के लिए प्रसिद्ध
गिरिराज मंदिर की मुख्य भव्यता उसकी भव्य भवन शैली और शिल्प कला में है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर एक ऊंचा गोपुरम है जो आकर्षक संगमर्मर से बना हुआ है। मंदिर की भीतरी दीवारों पर हिन्दू धर्म की कथाओं का विविध परिप्रेक्ष्य चित्रित है। गिरिराज मंदिर के प्रमुख देवालय में श्री कृष्ण की प्रतिमा बनी हुई है। इसके अलावा, मंदिर में दूसरे भगवानों और देवियों की प्रतिमाएं भी लगी हुई हैं। मंदिर में धार्मिक आयोजन और अन्य सामाजिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।

गिरिराज मंदिर के आस-पास एक प्राकृतिक वातावरण है, जिसमें हरित वृक्ष, फूलों के बगीचे, और झरने शामिल हैं। यहां लोग ध्यान और ध्यानाध्यान में लगे रहते हैं। गिरिराज मंदिर धार्मिकता, आध्यात्मिकता, और सांस्कृतिक धरोहर को अभिव्यक्त करने का महत्वपूर्ण केंद्र है। यहाँ लोग आकर्षित होते हैं और अपनी आध्यात्मिकता को समझने और अनुभव करने का अवसर पाते हैं। इसके रूपांतरण के दौरान यह मंदिर धर्म, संस्कृति, और परंपरा के महत्व को प्रकट करता है और लोगों को एक साथ आने के लिए प्रेरित करता है।