Akshaya Tritiya 2024

Akshaya Tritiya 2024 : साल में सिर्फ एक बार होते हैं बाके बिहारी के चरण दर्शन, 100 किलो चंदन से होगी सेवा, जानिए कहां से मंगवाया चंदन

धर्म

Akshaya Tritiya 2024 : अक्षय तृतीया हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है। यह दिन शुभ कार्यों को करने के लिए भी विशेष है। इसे लोग आखातीज के नाम से भी जानते हैं। अक्षय तृतीया का पर्व वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। वृंदावन में अक्षय तृतीया की तैयारी शुरू हो गई है। इसकी वजह अक्षय तृतीया पर श्री बांके बिहारी के चरणों का दर्शन होना भी विशेष है। साल में यही एक दिन है, जब श्री बांके बिहारी के चरणों के दर्शन होते हैं। इसके लिए मंदिर में महीनों पहले तैयारी शुरू हो जाती है।

बता दें कि अक्षय तृतीय वही शुभ दिन है, जब ठाकुर जी अपने पूर्ण दर्शन देते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिव्य दर्शन से भक्तों पर प्रभु की विशेष कृपा बरसती है। साथ ही जीवन खुशियों से भर जाता है। इस दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को गौर डालते हैं। इस अवसर पर श्री बांकेबिहारी को शीतलता प्रदान करने के लिए लगभग 100 किलो चंदन से सेवा की जाएगी, जिसका बड़ा महत्व है। यहां भगवान के चरण दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ जमा होती है, जिसकी व्यवस्था से लेकर सुरक्षा को देखते हुए मंदिर समीति से लेकर शासन प्रशासन जुट गया है।

बाके बिहारी 1

आमतौर पर वृंदावन में बांके बिहारी जी के दर्शन के लिए प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन ठाकुर जी के पूर्ण दर्शन तो सिर्फ साल में एक बार ही होते हैं और वह शुभ दिन अक्षय तृतीया का है। इस दिन बांके बिहारी जी के भव्य चरण दर्शन कराए जाते हैं। इस साल अक्षय तृतीया 10 मई 2024 दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी। इस तिथि की शुरुआत सुबह 4 बजकर 17 मिनट पर होगी। अगले दिन 11 मई सुबह 2 बजकर 50 मिनट तक रहेगी। वहीं अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त 10 मई को सुबह 5 बजकर 49 मिनट से दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगा।

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बाके बिहारी मंदिर

माना जाता है कि इस दौरान किए गए सभी कार्यों में व्यक्ति को सफलता प्राप्त होती है। सुख समृद्धि और धन में वृद्धि होती है। इस बार अक्षय तृतीया के खास मौके पर बिहारी जी को 100 किलो चंदन से शीतलता प्रदान की जाएगी, जिसके लिए पहले से ही प्रबंध शुरू हो चुके हैं। दरअसल इस पुणदायी सेवा के लिए दक्षिण भारत के मलयागिरी से चंदन मंगवाया जाता है। साथ ही इसे कुछ दिन पहले ही घिसना शुरू कर दिया जाता है। यह लेपन भाव विभोर कर देने वाला होता है, क्योंकि यह पूरी श्रद्धा के साथ श्री बांकेबिहारी जी को अर्पित किया जाता है, ताकि उन्हें शीतलता मिल सके।

बाके बिहारी

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