Haryana Politics : हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों पर 25 मई शनिवार को 65% मतदान(65% voting) हुआ, जो 2019 के 70.34% मतदान के मुकाबले 5% कम है। कम मतदान के बावजूद भाजपा खुश नजर आ रही है, जबकि कांग्रेस के भीतर मायूसी छाई हुई है। इसका कारण यह है कि किसान आंदोलन के चलते भाजपा का विरोध हो रहा था, जिससे कांग्रेस को भारी वोटिंग की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। क्योंकि मतदान के समय जहां एक ओर किसानों का कोई विरोध(not farmers’ protest) देखने को नहीं मिला, वहीं दूसरी ओर जीटी रोड बैल्ट(GT Road Belt) पर कम मतदान हुआ।
वहीं जाटलैंड की बात करें तो इसमें सोनीपत, रोहतक, हिसार और भिवानी-महेंद्रगढ़ सीटें शामिल हैं। रोहतक में 64.6%, सोनीपत में 62.3%, भिवानी-महेंद्रगढ़ में 65.3% और हिसार में 64.07% मतदान हुआ है। जीटी रोड बेल्ट पर किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर था। जिसमें कुरूक्षेत्र, अंबाला, करनाल और सोनीपत लोकसभा सीटें शामिल हैं। कांग्रेस को उम्मीद थी कि यहां की नाराजगी उनके पक्ष में वोटिंग प्रतिशत बढ़ाएगी। हालांकि इसका असर केवल 2 सीटों पर दिखा। अंबाला में 66.90% और कुरूक्षेत्र में 66.20% मतदान हुआ है, जिससे कांग्रेस थोड़ी खुश हो सकती है। वहीं करनाल में 63.20% और सोनीपत में 62.20% ही वोटिंग हुई। जिससे यहां आंदोलन का वोटिंग प्रतिशत पर असर कम नजर आ रहा है।
दक्षिण हरियाणा की गुरुग्राम और फरीदाबाद सीटों पर मतदान 60% से कम रहा, जो कांग्रेस के लिए झटका है, लेकिन भाजपा इसे अपने फेवर में मान रही है। सिरसा सीट पर बढ़ी वोटिंग से कांग्रेस खुश हो सकती है क्योंकि यहां किसान आंदोलन का पूरा जोर रहा और भाजपा उम्मीदवार को विरोध झेलना पड़ा। ऐसे में बढ़ी हुई मतदान कांग्रेस के पक्ष में मानी जा रही है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि कम मतदान से स्पष्ट है कि हरियाणा में किसी एक पार्टी के पक्ष में कोई लहर नहीं थी। इससे 4 जून को नतीजे मिले-जुले हो सकते हैं। हालांकि 2019 में भाजपा बड़े अंतर से सीटें जीती थी, वह अंतर कम हो सकता है। वहीं जहां भाजपा कम वोटों से जीती थी, वहां उलटफेर होने की संभावना है।
छोटे कस्बों-ग्रामीण इलाकों में हुआ मतदान अधिक
एक खास बात यह है कि शहरी क्षेत्रों के मुकाबले छोटे कस्बों और ग्रामीण इलाकों में मतदान ज्यादा हुआ। यह भाजपा की चिंता बढ़ा रहा है। शहरों में मोदी लहर और राम मंदिर मुद्दा पूरी तरह नहीं भुनाया जा सका, वहीं गांवों में किसान भाजपा का विरोध कर रहे थे। हालांकि कांग्रेस इससे ज्यादा खुश नहीं है क्योंकि ये वोट इनेलो में भी बंट सकते हैं।
गर्मी ने भी दोनों पार्टियों को दी गहरी चोट
गर्मी भी बड़ा फैक्टर रही। हरियाणा में कम वोटिंग प्रतिशत के लिए गर्मी भी बड़ा कारण रही। राज्य के 15 से अधिक जिलों में भीषण गर्मी का दौर चल रहा है। हालात इतने खराब हैं कि यहां का अधिकतम तापमान पिछले 10 दिनों से 46 डिग्री के पार बना हुआ है। इसके साथ ही लू भी चल रही है। गर्मी के कारण हरियाणा सरकार ने 15 जिलों में स्कूल भी बंद कर दिए हैं। इस कारण से वोटिंग के लिए आने वाला बड़ा वर्ग, खासकर युवा, घर पर ही रहा।
हरियाणा में भी दिखा चुनाव का ट्रेंड
हरियाणा में भी दूसरे राज्यों की तरह ट्रेंड दिखा। इस बार के आम चुनाव में जो ट्रेंड देश में था, वही हरियाणा में भी दिखा। राजस्थान में 64.56%, महाराष्ट्र में 54.33%, ओडिशा में 69.34% वोटिंग हुई, जो 2019 के मुकाबले कम है। हरियाणा में 2019 के लोकसभा चुनाव में ज्यादा वोट पड़े थे, लेकिन इस बार के चुनाव में मतदान प्रतिशत करीब 5% गिरा है। ऐसे में देश के बड़े राज्यों वाला ट्रेंड हरियाणा में भी दिखा।
किरण चौधरी के जिले में कम वोटिंग क्यों?
कांग्रेस की तोशाम से विधायक किरण चौधरी की भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर कम वोटिंग भी कई सवाल खड़े कर रही है। यहां 57% के करीब वोट पड़े हैं। राजनीतिक जानकार इसकी वजह किरण की नाराजगी को बता रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक अजय दीप लाठर का कहना है कि इस बार इस सीट से किरण की बेटी पूर्व सांसद श्रुति चौधरी प्रबल दावेदार थीं, लेकिन पार्टी ने उनकी टिकट काटकर कांग्रेस विधायक राव दान सिंह को दे दी। इसे लेकर वह काफी नाराज थीं। उन्होंने महेंद्रगढ़ दौरे के दौरान हुई पार्टी की चुनावी रैली में राहुल गांधी के सामने ही अपना विरोध प्रकट किया था।