फर्जी हस्ताक्षर करने पर शूगर मिल प्रशासन पर लगे आरोप

सोनीपत

सोनीपत शूगर मिल प्रशासन पर लगे आरोप। एम.डी. ने आरोपों को नकारा। टेंडर प्रक्रिया के लिए गठित की गई 7 सदस्यीय कमेटी। ऑनलाइन है पूरी प्रक्रिया। मुख्य अभियंता ने ई-टेंडर में उसके फर्जी हस्ताक्षर इस्तेमाल करने को लेकर मिल प्रशासन पर लगाए आरोप।

विस्तार में…

हरियाणा के सोनीपत शूगर मिल के निलंबित मुख्य अभियंता देवेन्द्र पहल द्वारा सोनीपत शूगर मिल प्रशासन पर ई-टेंडर में उसके फर्जी हस्ताक्षर इस्तेमाल करने के गम्भीर आरोप लगाए थे। उक्त आरोपों को सोनीपत शूगर मिल की एम.डी ने पूरी तरह से नकार दिया तथा मिल की छवि को खराब करने का प्रयास बताया।

इस संबंध में निलंबित मुख्य अभियंता देवेन्द्र पहल ने सोमवार को सिविल लाइन थाने में लिखित रूप में शिकायत भी दी थी।
हालांकि आरोपों में कितनी सच्चाई है, यह जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी। वहीं दोनों में आपसी खींचातानी चल रही है और एक दूसरे पर आरोप गढ़े जा रहे हैं। फिलहाल इस विवाद के चलते किसानों के लिए यह चिंता का विषय हो सकता है क्योंकि शुगर मिल रिपेयरिंग प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है।

निलंबित मुख्य अभियंता देवेन्द्र पहल ने बताई यह बातें

सोनीपत शूगर मिल के निलंबित मुख्य अभियंता देवेन्द्र पहल ने सोनीपत शूगर मिल प्रशासन पर आरोप लगाते हुए बताया कि उसे 17 जून को निलंबित कर दिया था। परन्तु उसके बाद 20 जुलाई को मिल प्रशासन द्वारा ई-टेंडर अपलोड किया गया।
निलंबित मुख्य अभियंता देवेन्द्र पहल ने आरोप लगाया कि इस ई-टेंडर के पेज नम्बर 42 से 45 पर उसके द्वारा कोई हस्ताक्षर नही किए गए थे। लेकिन इस पेज पर गलत नियत और निजी व्यक्ति की एजेंसी को लाभ पहुंचाने के लिए मिल प्रशासन की तरफ से उसके हस्ताक्षर प्लांट किए गए है। जबकि वह वर्तमान में निलंबित चल रहा है।

निलंबित मुख्य अभियंता ने बताया कि इस संबंध में तुरन्त उन्होंने इसकी शिकायत शूगरफैड पंचकूला को दी।
जिसके बाद मिल प्रशासन द्वारा आनन-फानन में इस टैंडर को हरियाणा सरकार की वेबसाइट से हटा दिया गया। निलंबित मुख्य अभियंता ने पुलिस से मांग की है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जाए।

शूगर मिल की एम.डी का कहना

वहीं आरोपों को निराधार बताते हुए सोनीपत शूगर मिल एम.डी अनुपमा मलिक ने बताया कि टेंडर प्रक्रिया में एम.डी का किसी प्रकार से कोई सीधा हस्तक्षेप नही होता। टेंडर प्रक्रिया के लिए 7 सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। यही कमेटी टेंडर तैयार करती है, दस्तावेजों की जांच करती है और इसे अपलोड करती है।

उन्होंने कहा कि पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन तरीके से की जाती है। कोई भी कम्पनी टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा ले सकती है। ऐसे में कही भी धांधली होने की सम्भावना नही होती। फिर भी पूरे मामले की जांच होगी, जिसके बाद सच्चाई सबके सामने आ जाएगी।