Haryana में सरकारी नौकरियों में आर्थिक-सामाजिक आरक्षण को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट(High Court) द्वारा रद्द किए जाने के मामले को सरकार सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) में चुनौती देगी। इसकी पुष्टि खुद मुख्यमंत्री नायब सैनी ने की है। सीएम सैनी ने इसको लेकर X पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि समाज के गरीब, कमजोर और वंचित वर्ग को आगे लाने के लिए एक्स्ट्रा 5 नंबर देने कि एक महत्वकांक्षी योजना हरियाणा सरकार द्वारा बनाई गई थी। जिसके विरुद्ध हाईकोर्ट ने निर्णय दिया और इसे निरस्त कर दिया गया।
हरियाणा सरकार के नाते हम संवैधानिक और कानूनी परक्रियाओं के तहत इस लड़ाई को जारी रखेंगे और माननीय सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे। गरीबों, कमजोर और वंचितों को न्याय दिलाने की यह लड़ाई हरियाणा सरकार अंतिम विकल्प तक लड़ती रहेगी। सीएम नायब सैनी एवं पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि हम अंत्योदय के संकल्प को लेकर चले थे। इस संकल्प को पूरा करने के लिए ही समाज में आर्थिक रूप से पिछड़े और कमजोर वर्गों के अतिरिक्त 5 अंक देने की योजना बनाई गई थी, जिसे हाईकोर्ट के द्वारा रद्द कर दिया गया है।
कानून की अपनी प्रक्रिया और मर्यादाएं हैं। मैं हरियाणा परिवार के उन सभी गरीब और कमजोर वर्ग को ये विश्वास दिलाता हूं कि जिन्हें इस योजना का लाभ मिला था, उन्हें न्याय दिलाने के लिए हम हमेशा साथ खड़े रहेंगे। हाईकोर्ट में सरकार के सामाजिक-आर्थिक आरक्षण के विरोध में एक याचिका दाखिल की गई थी। इस याचिका में बताया गया था कि प्रदेश सरकार ने संविधान के खिलाफ जाकर सामाजिक-आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया है।इस आरक्षण के तहत जिस परिवार में कोई भी सरकारी नौकरी पर न हो और परिवार की आमदनी कम हो तो ऐसे परिवार से आने वाले आवेदक को सामाजिक व आर्थिक आधार पर 5 अतिरिक्त अंकों का लाभ देने का प्रावधान किया गया था।
HC ने संविधान के खिलाफ बताया आरक्षण
हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया था कि संविधान के अनुरूप सामाजिक व आर्थिक आधार पर आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता। हाईकोर्ट ने सामाजिक व आर्थिक आधार पर आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए नियुक्तियों पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि सामाजिक आर्थिक आधार पर आरक्षण का फैसला संविधान के खिलाफ है।
इन भर्तियों पर असर
इस प्रावधान को रद्द करते हुए याचिका का निपटारा कर दिया। याचिका के निपटारे के साथ ही प्रदेश में हजारों नियुक्तियों का रास्ता साफ हो गया है। हाईकोर्ट के इस फैसले से हरियाणा में ग्रुप सी और डी के अलावा टीजीटी भर्ती पर असर पड़ेगा। इन भर्तियों में अब 5 नंबर का फायदा नहीं मिलेगा। वहीं इन नंबरों के आधार पर जिन भर्तियों में नियुक्ति मिल चुकी है, उन पर भी दोबारा परीक्षा हो सकती है।