Political uproar over District Council no-confidence motion

Kaithal में जिला परिषद अविश्वास प्रस्ताव पर राजनीतिक घमासान, JJP चेयरमैन की कुर्सी खतरे में

बड़ी ख़बर कैथल राजनीति

Kaithal में जिला परिषद(District Council) के चेयरमैन की कुर्सी को लेकर इन दिनों राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है। 25 जून को सदन की बैठक रद्द होने के बाद डीसी प्रशांत पंवार ने 19 जुलाई को अविश्वास प्रस्ताव(No-confidence motion) पर वोटिंग के लिए बैठक बुलाने की अनुमति दी थी। लेकिन इससे पहले ही पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगाने का आदेश दिया। यह आदेश तब तक लागू रहेंगे, जब तक कोर्ट मामले पर अंतिम फैसला नहीं सुना देती।

जिला परिषद के चेयरमैन दीपक मलिक उर्फ दीप जाखौली ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि हाईकोर्ट ने मतदान करवाने की अनुमति दी है, लेकिन परिणाम घोषित करने पर रोक लगा दी है। जब तक कोर्ट का अंतिम फैसला नहीं आ जाता, तब तक मतदान का परिणाम घोषित नहीं किया जा सकेगा। दीपक मलिक ने कहा कि हमारी मांग है कि प्रशासन 19 जुलाई को होने वाली वोटिंग को स्थगित करे, ताकि जब हाईकोर्ट का फैसला आ जाए, तब पूरी प्रक्रिया एक साथ की जा सके। उन्होंने इस नोटिस को राजनीतिक साजिश और जल्दबाजी में लाया गया।

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दीपक मलिक उर्फ दीप जाखौली को जनवरी 2023 में भाजपा-जजपा(JJP) गठबंधन सरकार के दौरान कैथल जिला परिषद का चेयरमैन चुना गया था। अब उनकी कुर्सी खतरे में(chairman’s chair in danger) है, क्योंकि मामला अविश्वास प्रस्ताव(No-confidence motion) तक पहुंच गया है। जिला परिषद के 21 पार्षदों में 15 भाजपा समर्थक और 6 जजपा समर्थक हैं। फिलहाल, 15 भाजपा समर्थक पार्षद दीपक मलिक के खिलाफ एकजुट हैं। हालांकि, असली तस्वीर 19 जुलाई को अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाली वोटिंग के बाद ही साफ हो पाएगी।

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नियमों का पालन नहीं होने का आरोप

चेयरमैन दीपक मलिक का कहना है कि अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने और नोटिस जारी किए जाने में नियमों का ठीक से पालन नहीं किया गया है। इसी कारण हाईकोर्ट ने हमें राहत दी है और सरकार को नोटिस जारी किया है कि नियमों का पालन क्यों नहीं किया गया। हाईकोर्ट ने कहा है कि मतदान हो सकता है, लेकिन परिणाम घोषित नहीं किया जाएगा जब तक कोर्ट का अंतिम फैसला नहीं आ जाता।

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दीपक मलिक की मांग

दीपक मलिक ने कहा कि प्रशासन 19 जुलाई की वोटिंग को स्थगित करे, ताकि जब हाईकोर्ट से केस फाइनल हो जाए तब पूरी प्रक्रिया एक साथ की जा सके। उनका कहना है कि यह नोटिस राजनीतिक साजिश के तहत लाया गया है और जल्दबाजी में लाया गया है। सरकार और भाजपा कैथल जिला परिषद पर कब्जा करना चाहते हैं। कई नियमों का पालन नहीं किया गया है, जिसमें सिर्फ 7 दिन का नोटिस देने की बात शामिल नहीं है।

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