Dharm-karm : हिंदु धर्म में ग्रह-नक्षत्र बहुत ही मायने रखते हैं। हिंदु धर्म में मान्यताएं है कि जिसकी कुंडली(horoscope) पर राहु-केतु बैठ जाते है, उनके जीवन पर बुरा प्रभाव(effect of Rahu-Ketu) पड़ता है, यानि की उनके साथ बुरा ही बुरा होता है। जिसके चलते जीवन में बहुत से उतार-चढ़ाव(Ups and downs in life) आते है। साथ ही घर वालों के बीच तनाव(tension at home) बना रहता है और हर काम उल्टे होते हैं।
पौराणिक कथा के मुताबिक समुद्र मंथन के समय जब अमृत निकला तो देवताओं और असुरों के बीच विवाद छिड़ गया कि पहले अमृत का सेवन हम करेंगे। तब भगवान विष्णु ने इस विवाद को खत्म करने के लिए मोहिनी रूप धारण किया और सभी को बारी-बारी से अमृत चखाने का प्रस्ताव दिया। सभी ने उनके प्रस्ताव को मान लिया। सबसे पहले देवताओं को अमृत पिलाया जाने लगा। तभी स्वरभानु नाम का असुर देवताओं का रूप लेकर उनके बीच बैठ गया। सूर्य देव और चंद्र देव को इस बात का पता चला तो मोहिनी रूप में वहां मौजूद भगवान विष्णु को सारी सच्चाई बताई।
तब भगवान विष्णु ने क्रोधित होकर सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया लेकिन तब तक वो अमृत की दो तीन बूंदे ग्रहण कर चुका था, इसलिए उसकी मृत्यु नहीं हुई और उसका सिर और धड़ अमर हो गया। बाद में उस असुर का सिर वाला हिस्सा राहु कहलाया और धड़ वाला हिस्सा केतु के नाम से जाना जाने लगा। सूर्य देव और चंद्र देव ने उस असुर का भेद खोला था इसलिए समय-समय पर सूर्य और पर ग्रहण लग जाता है।
राहु-केतु के प्रभाव को कैसे दूर करें
कहते हैं कि कुंडली में यदि राहु-केतु बैठ जाए तो 42 साल तक व्यक्ति परेशान रहता है इसलिए राहु और केतु के प्रभाव को कम करने के लिए भगवान शिव की पूजा करें। साथ ही चांदी के नाग की हर सोमवार विधि- विधान से पूजा करें। इससे राहु-केतु का प्रभाव कम हो जाता है।