पूर्व मंत्री प्रो. छत्रपाल सिंह ने 2014 में BJP ज्वाइन की थी, इस उम्मीद के साथ कि उन्हें पार्टी की ओर से मान-सम्मान मिलेगा और अपने क्षेत्र की जनता का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलेगा। प्रो. छत्रपाल ने बताया कि पार्टी द्वारा बार-बार नजरअंदाज किए जाने से कार्यकर्ताओं में रोष था। इसी कारण उन्होंने हरियाणा राज्य के बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के प्रमुख पद और पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। छत्रपाल सिंह ने कहा कि 2014 में गांधीधाम, गुजरात में नरेंद्र मोदी से उनकी मुलाकात हुई थी। इसके बाद अमित शाह के साथ भी उनकी विस्तृत बैठकें हुईं और वह महेंद्रगढ़ रैली में बीजेपी में शामिल हुए थे।
छत्रपाल सिंह ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में पार्टी नेतृत्व के साथ हुई चर्चाओं से वह खुद को अलग पाते थे। उन्हें पार्टी द्वारा विधानसभा चुनावों में टिकट नहीं दिया गया, जिससे वह जनता की आवाज संसद और विधानसभा में नहीं उठा सके। उन्होंने बताया कि खेदड़ थर्मल पावर प्लांट का धरना, तलवंडी गांवों का धरना, पुरानी पेंशन योजना, किसानों और पहलवानों का विरोध जैसे कई प्रमुख मुद्दों पर वह पार्टी से अलग राय रखते थे। इन मुद्दों पर उनकी बात को पार्टी ने अनसुना कर दिया, जिसके चलते उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
हिसार संसदीय क्षेत्र की जनता का दबाव है कि वह चुनाव लड़ें और उनकी आवाज विधानसभा और संसद में उठाएं। प्रो. छत्रपाल सिंह ने कहा कि वह जनता के फैसले का सम्मान करेंगे और चुनाव लड़ेंगे। प्रो. छत्रपाल ने बताया कि दूसरी पार्टी से चुनाव लड़ने पर अभी विचार चल रहा है। जैसे ही कोई फैसला होगा, जनता को इसकी जानकारी दे दी जाएगी। लेकिन इस बार चुनाव लड़ना तय है।