भारत में Monkeypox का पहला मामला सामने आया है। यह मामला एक ऐसे व्यक्ति से जुड़ा है जो हाल ही में विदेश से लौटा था और उसमें मंकीपॉक्स के लक्षण पाए गए हैं। फिलहाल मरीज की हालत ठीक है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक मरीज को आइसोलेशन के लिए स्पेशीफाइड अस्पताल में अलग रखा गया है, ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इस मामले को लेकर अतिरिक्त चिंता की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल इस मामले को देख रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी जानकारी दी कि देश ऐसे मामलों से निपटने के लिए तैयार है।
सरकार की तैयारी
स्वास्थ्य विभाग इस मामले पर पूरी नजर बनाए हुए है और मंकीपॉक्स के संक्रमण को रोकने के लिए सभी जरूरी कदम उठा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि प्रभावित व्यक्ति के संपर्क में आने वालों की भी जांच की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को सलाह दी है कि वे स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें, भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें और किसी भी प्रकार के संक्रमण के लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
क्या है मंकीपॉक्स?
मंकीपॉक्स एक दुर्लभ वायरल बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस के कारण होती है। इसके लक्षण चेचक जैसे होते हैं, जिसमें बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान शामिल हैं। इसके अलावा, संक्रमित व्यक्ति के शरीर पर दाने और घाव भी हो सकते हैं।
कैसे फैलता है मंकीपॉक्स?
मंकीपॉक्स मुख्यत संक्रमित जानवरों से मनुष्यों में और फिर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। यह वायरस शारीरिक संपर्क, संक्रमित सतहों, और संक्रमित व्यक्ति की श्वसन बूंदों के माध्यम से फैलता है।
मंकीपॉक्स का आतंक
मंकीपॉक्स अफ्रीका से फैला और अब दुनिया के 70 से ज्यादा देशों में अपने पैर पसार चुका है। मंकीपॉक्स से अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। इस खतरे के चलते विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक बैठक की और आपातकाल स्थिति घोषित कर दी है। मंकीपॉक्स का पहला मामला 1958 में सामने आया था। जहां एक कोलोनी में रिसर्च के लिए बंदरों को रखा गया था। साल 1970 में कांगो में पहली बार इंसानों में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखे। ये इंसान में फैलने वाला पहला केस था। इसके बाद दूसरे मिडिल और पश्चिमी अफ्रीकी देशों में लोगों में मंकीपॉक्स के केस सामने आए। अफ्रीका के बाहर अमेरिका, इजराइल, सिंगापुर में मामले पाए गए हैं।