साध्वी यौन शोषण मामले में आज पंजाब-Haryana हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। सात साल पहले इस मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम ने अपनी सजा को चुनौती दी थी और इस संबंध में याचिका भी दायर की थी। सीबीआई ने राम रहीम की अपील का विरोध किया है।

साधुओं को नपुंसक बनाने का मामला भी बढ़ सकता है
साधुओं को नपुंसक बनाने के मामले में राम रहीम की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। इस केस के डायरी और गवाहों के बयानों की कॉपी देने के मामले में पंचकूला सीबीआई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर सीबीआई की याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस याचिका पर 2019 में सुनवाई पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद से इस केस की सुनवाई रुकी हुई थी। अब इस मामले का फैसला आने के बाद जल्द ही सुनवाई शुरू हो सकती है।

7 साल बाद सुनवाई शुरू
राम रहीम की सजा को चुनौती देने वाली याचिका पर सात साल बाद सुनवाई शुरू हो रही है। राम रहीम ने पंचकूला की जिला अदालत द्वारा सुनाई गई 20 साल की सजा को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में राम रहीम ने आरोप लगाया था कि सीबीआई अदालत ने साक्ष्यों और गवाहों को सही तरीके से जांचे बिना ही उसे दोषी ठहराया और सजा सुनाई। इसके अलावा, राम रहीम ने यह भी कहा कि मामले में एफआईआर तीन साल की देरी से दर्ज की गई और पीड़िता के बयान भी छह साल बाद रिकॉर्ड किए गए थे।

सीबीआई की दलील और आरोप
सीबीआई ने कोर्ट में दलील दी थी कि यौन शोषण की घटना 1999 में हुई थी, लेकिन शिकायत 2005 में दर्ज की गई थी। सीबीआई ने यह भी कहा कि डेरा प्रमुख ने अपील में यह आरोप लगाया था कि उन पर कोई दबाव नहीं था, जबकि सीबीआई के संरक्षण में पीड़िताएं थीं।

राम रहीम की सजा और अन्य मामलों में भी सजा
गुरमीत राम रहीम को 2017 में दो साध्वियों से यौन शोषण के मामले में 10-10 साल की सजा सुनाई गई थी। इसके अलावा, पत्रकार रामचंद्र छत्रपति और डेरा के पूर्व प्रबंधक रणजीत सिंह की हत्याओं के मामले में उसे उम्रकैद की सजा भी हुई है। 25 अगस्त 2017 को राम रहीम को रोहतक की सुनारिया जेल भेजा गया था। उसके बाद पंचकूला में हिंसा फैल गई थी।