Vastu शास्त्र के अनुसार, घर में रखी हर वस्तु का सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव वहां रहने वाले लोगों पर पड़ता है। शीशा, जिसे हम रोजमर्रा में उपयोग करते हैं, उसके लिए भी वास्तु के विशेष नियम होते हैं। सही दिशा में शीशा लगाने से भाग्य और समृद्धि का द्वार खुलता है, जबकि गलत जगह रखा शीशा अशांति, धन हानि, और बीमारियों को न्योता देता है।
अशुभ स्थान पर शीशा लगाने से बचें
- पश्चिम और दक्षिण दिशा में शीशा: इन दिशाओं में शीशा लगाने से घर में अशांति और क्लेश बढ़ता है।
- टूटा या गंदा शीशा: ऐसा शीशा घर में दरिद्रता लाता है और सदस्यों की उन्नति रुक जाती है।
- स्टोर रूम में शीशा: स्टोर रूम में शीशा रखने से मानसिक तनाव बढ़ता है।
- शयनकक्ष में शीशा: बेडरूम में शीशा नहीं होना चाहिए, खासकर ऐसा शीशा जिसमें बिस्तर का प्रतिबिंब दिखाई दे। यह भ्रम और मानसिक अस्थिरता का कारण बन सकता है।
- रसोई में शीशा: रसोई में शीशा लगाने से स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- दो शीशों को आमने-सामने लगाना: यह स्थिति घर में नेगेटिव एनर्जी को बढ़ाती है।
शुभ स्थान और नियम
- उत्तर और पूर्व दिशा में शीशा: इन दिशाओं में शीशा लगाना शुभ माना जाता है। उत्तर दिशा धन के देवता कुबेर की दिशा मानी जाती है।
- अष्टभुजाकार शीशा: घर में अष्टभुजाकार शीशा लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।
- देखने का सही दिशा: शीशा इस तरह लगाएं कि व्यक्ति का चेहरा उत्तर या पूर्व दिशा की ओर हो।
- साफ और धुंध रहित शीशा: हमेशा साफ और चमकदार शीशा रखें, इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
वास्तु का संदेश
शीशे का सही दिशा और आकार में उपयोग घर में सुख-समृद्धि और धन-दौलत को आकर्षित करता है। लेकिन इसका गलत उपयोग अशांति और दरिद्रता का कारण बन सकता है। वास्तु नियमों का पालन कर घर में सुख और समृद्धि बनाए रखें।