करनाल नगर निगम चुनाव के रण में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। 46 साल से पार्टी के मजबूत स्तंभ रहे सरदार त्रिलोचन सिंह ने भाजपा का हाथ थाम लिया। इससे आहत कांग्रेस के मेयर प्रत्याशी मनोज वधवा प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने जज्बातों पर काबू नहीं रख सके और फूट-फूटकर रो पड़े। उन्होंने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि कल तक उन्होंने मेरे नामांकन में साथ दिया, आज मेरी पीठ से हाथ हटा लिया।
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‘अगर मुझे अहसास होता, तो मैं खुद उनके लिए टिकट मांगता’
मनोज वधवा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पार्टी ने जो टिकट तय किया था, उस पर सभी सहमत थे और एकजुट होकर चुनाव लड़ने का वादा किया गया था। लेकिन त्रिलोचन सिंह के इस तरह पार्टी छोड़ने से वे व्यक्तिगत रूप से आहत हुए हैं। उन्होंने कहा कि अगर मुझे जरा भी आभास होता कि वे इस तरह से चले जाएंगे, तो मैं खुद पार्टी से उनके लिए टिकट देने की सिफारिश करता। लेकिन उन्होंने कभी अपने मन की बात मुझसे साझा नहीं की।
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उन्होंने आगे कहा कि इस फैसले से न केवल कांग्रेस कार्यकर्ताओं को झटका लगा है, बल्कि करनाल की जनता भी इस पर हैरान है। आज जब वे चले गए हैं, तो करनाल की जनता के हजारों फोन मेरे पास आ रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि अब और मजबूती से कांग्रेस के लिए लड़ना होगा।
भाजपा पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप
मनोज वधवा ने इस मौके पर भाजपा शासित नगर निगम और करनाल की मौजूदा मेयर पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले पांच वर्षों में करनाल में भ्रष्टाचार चरम पर रहा है। नगर निगम में गरीबों को परेशान किया जाता है। सरकारी जमीनों पर कब्जे कराए गए। अवैध कॉलोनियों को बढ़ावा दिया गया, जबकि गरीबों के घरों पर बुलडोजर चलवा दिए गए। मेयर कठपुतली की तरह काम कर रही थीं, जबकि असली खेल उनके पति चला रहे थे।
‘भ्रष्टाचार से मुक्ति की बात करने वाले आज खुद भ्रष्टाचारियों के साथ’
मनोज वधवा ने करनाल के विधायक जगमोहन आनंद पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भाजपा विधायक ने करनाल को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन अब वे खुद उन लोगों के लिए वोट मांग रहे हैं जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। मुझे समझ नहीं आ रहा कि विधायक साहब किस मुंह से जनता से वोट मांग रहे हैं। जब जनता सवाल पूछेगी कि पिछले पांच साल में करनाल का विकास क्यों ठप रहा, तो उनके पास कोई जवाब नहीं होगा।