हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच गठबंधन लगभग तय हो चुका है। हालांकि, इसका औपचारिक ऐलान अभी नहीं हुआ है। शनिवार रात कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा के बीच हुई बैठक के बाद यह खबर सामने आई। दोनों पार्टियां 9 सितंबर को जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गठबंधन का ऐलान कर सकती हैं।
कांग्रेस ने AAP को 5 सीटों का ऑफर दिया है, जिसे AAP ने मंजूर कर लिया है। इनमें से 4 सीटें वे हैं जिन पर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-AAP के संयुक्त उम्मीदवार डॉ. सुशील गुप्ता ने जीत दर्ज की थी। इसके अलावा, एक और अतिरिक्त सीट AAP को दी गई है।
गठबंधन को लेकर नेताओं की प्रतिक्रिया
कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया ने कहा, “ऐसा लगता है कि AAP ने कम सीटों पर समझौता कर लिया है और जल्द ही इस पर फैसला हो जाएगा। AAP को अच्छी संख्या में सीटें दी जा रही हैं।” वहीं, राघव चड्ढा ने कहा, “कांग्रेस के साथ अच्छी बातचीत हो रही है और उम्मीद है कि जल्द ही गठबंधन को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।”
गठबंधन पर अब तक 3 मीटिंग हो चुकी हैं
हरियाणा में गठबंधन को लेकर कांग्रेस और AAP के बीच अब तक तीन बैठकें हो चुकी हैं। I.N.D.I.A. गठबंधन के तहत AAP ने कांग्रेस से 10 सीटें मांगी थीं, जबकि कांग्रेस ने पहले 4 सीटों का ऑफर दिया था। तीसरी मीटिंग के बाद कांग्रेस ने एक और सीट देने का प्रस्ताव रखा, जिसे AAP ने स्वीकार कर लिया। कांग्रेस अब तक 32 उम्मीदवारों की दो सूचियां जारी कर चुकी है। बची हुई 58 सीटों में से AAP को 5 सीटें दी जाएंगी।
AAP के सांसद का कांग्रेस को चैलेंज
AAP के राष्ट्रीय सचिव और राज्यसभा सांसद संदीप पाठक ने कहा था कि पार्टी हरियाणा की सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है और कांग्रेस को कमजोर न समझे, नहीं तो उन्हें पछताना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पार्टी केवल आदेश का इंतजार कर रही है।
राहुल गांधी की पहल से हुई बातचीत
गठबंधन की पहल कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से की गई थी। उन्होंने AAP से बातचीत के लिए 4 सदस्यीय कमेटी बनाई, जिसमें महासचिव केसी वेणुगोपाल, पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा, प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया और प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान शामिल थे।
गठबंधन का प्रभाव दिल्ली चुनाव पर भी होगा
कांग्रेस का गठबंधन फॉर्मूला AAP को 5 सीटें और सीपीआई, सीपीएम, एनसीपी को एक-एक सीट देने का है। राहुल गांधी हरियाणा के जरिए 2025 में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव को भी साधना चाहते हैं। कांग्रेस ने दिल्ली में 1998 से 2013 तक सरकार बनाई, लेकिन 2013 और 2015 में हुए चुनावों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। हरियाणा में गठबंधन की सफलता से कांग्रेस दिल्ली में भी AAP के साथ गठबंधन का दबाव बना सकती है।