55वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में हुए फिल्म ‘चोला’ के ट्रेलर लॉन्च के दौरान हंगामा हो गया। फिल्म के निर्देशक अतुल गर्ग की इस फिल्म पर कर्णी सेना ने सनातन धर्म का अपमान करने का आरोप लगाया। कर्णी सेना के मुंबई अध्यक्ष सुरजीत सिंह राठौड़ ने ट्रेलर में आपत्तिजनक सीन को लेकर कड़ी आपत्ति जताई और चेतावनी दी कि यदि ये सीन नहीं हटाए गए, तो फिल्म रिलीज नहीं होने दी जाएगी।
क्यों हुआ विरोध?
फिल्म के ट्रेलर में एक सीन दिखाया गया है जिसमें मुख्य किरदार भगवा वस्त्र उतारकर उसे आग लगा देता है। इसके साथ ही रुद्राक्ष की माला और तुलसी को जलाने का दृश्य भी शामिल है।
कर्णी सेना का आरोप:
“यह दृश्य सनातन धर्म का अपमान है।”
“भगवा वस्त्र और रुद्राक्ष जलाना हिंदू धर्म और साधु-संतों का अपमान है। इसे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
कर्णी सेना का विरोध और चेतावनी

सुरजीत सिंह राठौड़ ने बताया कि ट्रेलर लॉन्च के दौरान उन्होंने इसे रुकवाने की मांग की। उन्होंने कहा, “सनातन धर्म से बड़ा कुछ नहीं है। इस तरह के दृश्य हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं।” उन्होंने आगे चेतावनी दी कि यदि फिल्म से आपत्तिजनक सीन नहीं हटाए गए, तो फिल्म का बायकॉट किया जाएगा।
फिल्म की कहानी
फिल्म ‘चोला’ एक युवा प्रोफेसर की कहानी है, जो शांति की तलाश में एक आश्रम जाता है। वहां वह भगवा वस्त्र धारण कर साधु जैसा जीवन जीने लगता है। जब उसे शांति नहीं मिलती, तो वह अपने वस्त्र और माला को जलाकर दोबारा प्रोफेसर बन जाता है।
कर्णी सेना का बयान
सुरजीत सिंह राठौड़ ने कहा कि “जवान में दीपिका पादुकोण ने सिर्फ भगवा वस्त्र पहने थे, लेकिन यहां तो उसे जलाया जा रहा है।” यदि ऐसे सीन हटाए नहीं गए, तो फिल्म रिलीज नहीं होने दी जाएगी। जरूरत पड़ी तो प्रदर्शन करेंगे। यह पब्लिसिटी पाने का घिनौना प्रयास है।
विवादित ट्रेलर और कार्यक्रम में हंगामा

ट्रेलर लॉन्च इवेंट इम्पा (इंडियन मोशन पिक्चर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन) की यॉट में हुआ, जहां सीनियर एक्टर मनोज जोशी भी मौजूद थे। जैसे ही कर्णी सेना ने विरोध जताना शुरू किया, माहौल गर्म हो गया और मनोज जोशी कार्यक्रम छोड़कर चले गए।
कर्णी सेना की मांग
कर्णी सेना ने प्रेस नोट जारी कर फिल्म को बायकॉट करने की मांग की है। यदि विवादित सीन नहीं हटाए गए, तो फिल्म को रिलीज से पहले साधु-संतों को दिखाया जाएगा। संतों की आपत्ति होने पर फिल्म पर प्रतिबंध की मांग की जाएगी।
फिल्म ‘चोला’ का यह विवाद धार्मिक भावनाओं के सम्मान और फिल्ममेकिंग की स्वतंत्रता के बीच संतुलन की आवश्यकता को उजागर करता है। अब देखना होगा कि निर्देशक और सेंसर बोर्ड इस मामले में क्या निर्णय लेते हैं।