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हरियाणा की भव्या ने इंटरनेशनल बायोलॉजी ओलंपियाड में जीता सिल्वर मेडल, भारत को दिलाई शान।

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अटेली की भव्या गुणवाल ने बायोलॉजी ओलंपियाड में जीता रजत

फिलीपींस में आयोजित प्रतियोगिता में भारत का नाम रोशन किया

पहले भी जीत चुकी हैं स्वर्ण पदक, परिवार और गृह नगर में जश्न का माहौल

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हरियाणा के अटेली की बेटी भव्या गुणवाल ने 56वें अंतरराष्ट्रीय बायोलॉजी ओलंपियाड (IBO) में भारत के लिए रजत पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है। यह प्रतिष्ठित प्रतियोगिता फिलीपींस के क्वेज़ोन सिटी में 20 से 26 जुलाई 2025 तक आयोजित हुई थी, जिसमें दुनिया भर के 77 देशों के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था। भव्या की यह उपलब्धि भारतीय विज्ञान शिक्षा और युवाओं की प्रतिभा का प्रमाण है।

भव्या ने इससे पहले भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। उन्होंने रोमानिया में आयोजित 21वें अंतरराष्ट्रीय जूनियर साइंस ओलंपियाड (IJSO) में स्वर्ण पदक भी जीता था, जो उनकी असाधारण वैज्ञानिक क्षमता को दर्शाता है। उनकी इस ऐतिहासिक उपलब्धि से उनके गृहनगर अटेली और पैतृक गांव मंदौला में खुशी का माहौल है और चारों ओर उत्सव मनाया जा रहा है।

स्वदेश वापसी और सम्मान समारोह:

भव्या 29 जुलाई 2025 को मुंबई के रास्ते स्वदेश लौटेंगी और 30 जुलाई को अपने गृह नगर अटेली पहुंचेंगी। उनकी इस विशेष उपलब्धि के लिए उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जाएगा। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया राहटकर उन्हें दिल्ली के सेंट्रल हॉल में सम्मानित करेंगी, जो उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण का प्रतीक है।

परिवार की प्रतिक्रिया:

भव्या की सफलता पर उनके पिता डॉ. अनिल यादव और माता डॉ. सुमन यादव ने गर्व व्यक्त करते हुए कहा, “हमारी बेटी ने न केवल भारत का गौरव बढ़ाया है, बल्कि युवाओं के लिए एक प्रेरणा स्थापित की है। यह उपलब्धि भव्या की व्यक्तिगत सफलता के साथ-साथ भारतीय विज्ञान शिक्षा की गुणवत्ता और देश के युवाओं की प्रतिभा का प्रमाण है।” उनके दादा मास्टर श्रद्धानंद ने भी अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा, “लड़के-लड़कियों में कोई भेद नहीं है। लड़कियां अंतरिक्ष, चिकित्सा, खेल, राजनीति और अन्य क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं।” यह टिप्पणी लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण के महत्व को रेखांकित करती है।

वैश्विक मंच पर उपलब्धियां:

भव्या ने पहले भी सिंगापुर, मलेशिया, दुबई, हांगकांग और रोमानिया जैसे देशों में आयोजित कई शैक्षिक प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक जीतकर अपने माता-पिता और क्षेत्र का नाम रोशन किया है। उनकी यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे समुदाय को गौरवान्वित करती है और यह दर्शाती है कि भारतीय युवा वैश्विक मंच पर भी अपनी छाप छोड़ने में सक्षम हैं।