➤काजल देशवाल पर फर्जी जाति प्रमाणपत्र का आरोप साबित
➤पानीपत जिला परिषद चेयरपर्सन पद से बर्खास्त
➤FIR दर्ज, कुर्सी तीन साल में दूसरी बार खाली
हरियाणा के पानीपत जिले में जिला परिषद की पूर्व चेयरपर्सन काजल देशवाल पर बड़ा एक्शन हुआ है। उन पर फर्जी जाति प्रमाणपत्र बनवाकर चुनाव लड़ने और पद हथियाने का आरोप साबित होने के बाद धोखाधड़ी, जालसाजी और षड्यंत्र रचने का केस दर्ज किया गया। यह कार्रवाई मुख्यमंत्री नायब सैनी को भेजी गई शिकायत के बाद हुई।

भाजपा नेता प्रदीप कुमार शर्मा ने सीएम को शिकायत भेजी थी कि काजल देशवाल ने पिछड़ा वर्ग (BC-A) का फर्जी सर्टिफिकेट बनवाकर पानीपत जिला परिषद के वार्ड-13 से चुनाव लड़ा। यह वार्ड पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित था। चुनाव जीतने के बाद वह चेयरपर्सन बनीं। इस दौरान उन्हें प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली ने आशीर्वाद दिया और बीजेपी का पटका पहनाकर पार्टी में शामिल किया।
काजल देशवाल ने कहा था कि वह बड़ौली के निर्देश पर काम करेंगी। जांच में सर्टिफिकेट फर्जी साबित हुआ और उन्हें जून 2025 में पद से हटा दिया गया। अब पानीपत सिटी थाना में IPC की धाराओं 420, 467, 468 और 471 के तहत FIR दर्ज हो गई है।
तीन साल में भाजपा की दो चेयरपर्सन हटीं, अब कुर्सी खाली:
पानीपत जिला परिषद की चेयरपर्सन कुर्सी पिछले तीन साल में दो बार भरी गई, दोनों बार भाजपा समर्थित उम्मीदवार ही चुने गए। लेकिन दोनों ही लंबे समय तक कुर्सी पर टिक नहीं पाए। पहले ज्योति शर्मा बनीं, फिर काजल देशवाल। अब दोनों हट चुकी हैं और चेयरपर्सन का पद खाली पड़ा है।
पहले ज्योति, फिर काजल बनीं चेयरपर्सन:
ज्योति शर्मा 27 दिसंबर 2022 को भाजपा के समर्थन से जिला परिषद चेयरपर्सन चुनी गई थीं। लेकिन उनके खिलाफ जल्दी ही नाराजगी बढ़ी और 6 मार्च 2024 को उन्हें पद छोड़ना पड़ा। उस समय 17 में से 13 पार्षद उनके खिलाफ खड़े थे। इसके बाद भाजपा ने 14 जून 2024 को काजल देशवाल को समर्थन देकर सर्वसम्मति से चेयरपर्सन बनाया। लेकिन वह भी केवल एक साल ही इस पद पर रह पाईं। जाति प्रमाणपत्र फर्जी साबित होने पर उन्हें बर्खास्त कर दिया गया।
फर्जी सर्टिफिकेट से पार्षद बनीं, फिर चेयरपर्सन तक पहुंचीं:
पानीपत जिला परिषद का वार्ड-13 पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित था। काजल देशवाल ने नामांकन में खुद को कश्यप राजपूत बताया और जाति प्रमाणपत्र लगाया। जांच में यह सामने आया कि उत्तर प्रदेश, जहां काजल का जन्म हुआ, वहां कश्यप राजपूत सामान्य श्रेणी में आते हैं। डीएम की रिपोर्ट में प्रमाणपत्र अवैध पाया गया। इसी आधार पर काजल की सदस्यता और चेयरपर्सन का पद खत्म हुआ।
ज्योति से हारी और उन्हीं से कुर्सी भी छीनी:
पानीपत जिला परिषद चेयरपर्सन का पद महिला के लिए आरक्षित था। भाजपा के समर्थन से ज्योति शर्मा मैदान में उतरीं, और विपक्ष ने काजल देशवाल को उतारा। मुकाबला कड़ा हुआ और ज्योति 2 वोटों से जीत गईं। लेकिन एक साल के भीतर पार्षद उनके खिलाफ लामबंद हो गए और अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी की। प्रस्ताव पेश होने से पहले ही ज्योति शर्मा ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद काजल देशवाल चेयरपर्सन बन गईं, लेकिन अब स्वयं काजल भी अपनी कुर्सी से बाहर हो गईं।
भाजपा का पटका पहनकर भी कुर्सी नहीं बचा सकीं:
काजल और उनके पति संदीप देशवाल ने ज्योति शर्मा को हटाकर चेयरपर्सन की कुर्सी संभाली। तुरंत बाद भाजपा में शामिल हुए और प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली का आशीर्वाद लिया। लेकिन फर्जी जाति प्रमाणपत्र मामले में फंसने के बाद उन्हें जून 2025 में पद से हटा दिया गया। अब उनके खिलाफ FIR भी दर्ज है।
शिकायत से FIR तक, ऐसे खुला पूरा मामला:
भाजपा नेता प्रदीप शर्मा ने मुख्यमंत्री को शिकायत भेजी कि काजल ने धोखे से पिछड़ा वर्ग का फर्जी सर्टिफिकेट बनवाया। जांच में यह साबित हुआ और डीएम की रिपोर्ट ने भी इसे पुष्टि की। इसके बाद काजल देशवाल को पद से हटा दिया गया और FIR दर्ज की गई।
बर्खास्तगी के फैसले पर 26 अगस्त को सुनवाई:
जाति प्रमाणपत्र फर्जी पाए जाने के बाद डीसी पानीपत की रिपोर्ट पर पंचायत विभाग के डायरेक्टर ने काजल को पद से बर्खास्त किया। काजल ने ACS के पास अपील की थी। अगली सुनवाई 26 अगस्त को होगी।
भाजपा के लिए बढ़ी मुश्किलें, विपक्ष को मिला मुद्दा:
पानीपत जिला परिषद की राजनीति में यह पूरा विवाद भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बन गया। तीन साल में दोनों चेयरपर्सन हट चुकी हैं। विपक्ष ने इसे बड़ा मुद्दा बना दिया और पार्टी की छवि पर सवाल उठने लगे हैं। अब सवाल यह है कि खाली कुर्सी पर अगला उम्मीदवार कौन होगा और क्या भाजपा इस बार अपने उम्मीदवार को लंबे समय तक टिकाने में सफल होगी।