पानीपत में चाचा भतीजे की जोड़ी ने आज के युवाओं को राह दिखायी है जो सरकारी नौकरी पाने के लिए परेशान रहते हैं। चाचा भतीजा दोनों इंजीनियर हैं लेकिन उन्होंने अपनी अच्छी खासी नौकरी को छोड़कर खुद का व्यवसाय स्टार्ट किया और लोगों को रोजगार भी दिया। इन्होंने गुड़ बनाने का काम शुरु किया और देखते ही देखते इनकी डिमांड देश क्या विदेश में भी होने लगी।
रिंकू ने बताया कि उनके दादाजी माहल सिंह जो आर्मी में जवान थे, छुट्टियों में बार घर आये थे। उन्होंने गली में गुड़ बेचने वाले से गुड़ खरीदा जिसमें कीड़ा था। इससे उन्हें बहुत निराशा हुई। उन्होंने छोटे स्तर पर अपने खेत में गुड़ बनाने का कलेसर लगा दिया। बाद में चाचा भतीजा की जोड़ी ने ऑर्गनिक गुड़ बनाने का काम शुरु कर दिया। धीरे-धीरे इनके गुड़ की डिमाड़ बढ़ने लगी। रिंक बताते है कि शुरुआत की थी तब वह अपने 20 एकड़ में ही ऑर्गेनिक विधि से गन्ना उगाते थे। जब उनका व्यापार चलने लगा ते उन्होंने आसपास के खेतों को भी ठेके पर ले लिया और खेती शुरु कर दी। आझ तकरीबन 120 एकड़ में ऑर्गेनिक तरीके से गन्ने की खेती करते है।
विदेश में भी लेकर जाते है लोग इनका गुड़
गुड़ की क्वालिटी अच्छी होने के कारण लोग खुद ब खुद उनके कलेसर पर ही गुड़ खरीदने आ जाते है। स्थानीय मार्केट के अलावा विदे में भी गुड़ की सप्लाई करते है। जो लोग विदेश में बसे हुए है। वे अपने साथ गुड़ लेकर आते है। इस समय उनके यहां चार प्रकार का गुड़, खांड और शक्कर बनाई जाती है। एक खास सुविधा इनके कलेसर पर उपलब्ध है। जो लोग चाहते है कि गुड़ में ड्राई फ्रूटस भी रहे तो ऑर्डर देकर बनवा सकते है। यही कारण है कि ग्राहक बड़ी संख्या में उनके कलेसर पर पहुंचते है।
8 करोड़ तक पहुंच चुका है टर्नओवर
रिंकू ने बताया कि जब गुड़ बनाने का काम शुरू किया था तो सालाना आमदनी दो से तीन लाख रूपए थी लेकिन आज प्रोजेक्ट की क्वालिटी और ईमानदारी से काम करने की प्रेरणा से सालाना टर्नओवर 8 करोड़ रूपए तक पहुंच गया है। लोगों को गुड़ की क्वालिटी पर भरोसा है और इस भरोसे पर खरा उतरना ही हमारे बिजनेस की सबसे बड़ी कामयाबी है। ऐसे में चाचा- भतीजे की इस जोड़ी की कामयाबी अन्य किसानों के लिए भी एक मिसाल कायम कर रही है।
100 से ज्यादा लोगों को दे चुके है रोजगार
शुरुआत में उन्होंने 20 एकड़ जमीन पर आर्गेनिक विधि से गन्ना उगाया था लेकिन व्यापार चलने पर उन्होंने आसपास के खेतों को भी ठेके पर ले लिया। आज 120 एकड़ जमीन पर आर्गेनिक विधि से गन्ना उगाया जा रहा है। आज न केवल उन्हें लाभ हो रहा है बल्कि गन्ने की रोपाई से लेकर गुड़ बनाने के काम में स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिल रहा है। उनके कलेसर पर आज 100 से अधिक लोग काम करते हैं।