दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल(Kejriwal) को सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने शराब नीति घोटाले(Liquor policy scam) के मामले में अंतरिम जमानत(interim bail) दे दी है। जस्टिस संजीव खन्ना(Justice Sanjeev Khanna) की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि केजरीवाल 90 दिन से जेल में हैं और इसलिए उन्हें रिहा किया जाना चाहिए। जस्टिस खन्ना ने यह भी कहा कि केजरीवाल एक चुने हुए नेता हैं और उन्हें खुद तय करना होगा कि वे मुख्यमंत्री बने रहना चाहते हैं या नहीं।
बता दें कि जस्टिस खन्ना ने यह मामला बड़ी बेंच को ट्रांसफर करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी की नीति क्या होनी चाहिए, इसके बारे में कुछ महत्वपूर्ण सवाल तैयार किए गए हैं। बड़ी बेंच चाहे तो केजरीवाल की अंतरिम जमानत के फैसले में बदलाव कर सकती है। केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था और बाद में राऊज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें कस्टडी में भेज दिया था। केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी और कस्टडी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग केस में जमानत दी है।
केजरीवाल के खिलाफ दूसरा मामला सीबीआई का भी है। इस भ्रष्टाचार के मामले में वे अभी न्यायिक हिरासत में हैं, इसलिए जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे। आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है कि केजरीवाल को सीबीआई मामले में भी जल्द जमानत मिल जाएगी। पार्टी ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला साबित करता है कि आबकारी नीति केस केजरीवाल के खिलाफ भाजपा की साजिश थी।
दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला
केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी और हिरासत को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। 9 अप्रैल को दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी को सही ठहराया था। इस फैसले के खिलाफ केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल को केजरीवाल की याचिका पर ED से जवाब मांगा था।
गिरफ्तारी का सही ठहराना
दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को सही बताते हुए कहा था कि इसमें कुछ भी अवैध नहीं था। हाईकोर्ट ने कहा कि केजरीवाल कई समन भेजे जाने के बावजूद ED ऑफिस नहीं आए थे, इसलिए ED के पास उन्हें गिरफ्तार करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था।