Delhi कंफेडरेशन ऑफ एनसीआर रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (कोनरवा) ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण की बढ़ती समस्या पर चिंता व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और निकटवर्ती क्षेत्र वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को एक पत्र भेजा है। कोनरवा ने दिल्ली बॉर्डर पर एमसीडी टोल वसूली को वायु प्रदूषण और यातायात जाम का प्रमुख कारण बताया है।
टोल वसूली के कारण समस्याएं
कोनरवा का कहना है कि दिल्ली के बॉर्डर पर टोल वसूली के चलते ट्रैफिक जाम की समस्या बनी रहती है। इस जाम के कारण ईंधन की बर्बादी, विदेशी मुद्रा का नुकसान, नागरिकों के पैसे और समय की बर्बादी होती है।
850 करोड़ वार्षिक राजस्व पर सवाल
कोनरवा के अध्यक्ष एडवोकेट पीएस जैन और जनरल सेक्रेटरी अनिल शर्मा ने बताया कि एमसीडी लगभग 850 करोड़ रुपये का वार्षिक राजस्व इस टोल वसूली से अर्जित करता है, लेकिन इसकी वजह से आम नागरिकों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है। संस्था ने वायु प्रदूषण और यातायात जाम से निजात पाने के लिए सुझाव दिए हैं।
एमसीडी टोल को समाप्त किया जाए
एमसीडी टोल को पूरी तरह समाप्त किया जाए, और क्षतिपूर्ति केंद्र व राज्य सरकार द्वारा दी जाए। सभी यात्री वाहनों को टोल मुक्त किया जाए। एनसीआर में वाहन परमिट के साथ एकमुश्त टोल राशि वसूलने की व्यवस्था की जाए। केंद्र सरकार एमसीडी टोल को समाप्त कर एमसीडी को आर्थिक सहायता प्रदान करे।
ग्रेप के तहत प्रतिबंध पर आपत्ति
कोनरवा ने ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के तहत एनसीआर में BS-4 वाहनों पर लगाए गए प्रतिबंध को अनुचित बताया। संस्था का कहना है कि जिन वाहनों के पास वैध प्रदूषण प्रमाण पत्र है, उन्हें प्रतिबंधित करना आम जनता के लिए असुविधाजनक है। इसके बजाय बॉर्डर पर होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।