क्या आपने कभी किसी दोस्त का हाथ पकड़कर गोल-गोल चक्कर लगाया है? चंद सेकंड में ही सिर घूमने लगता है और संतुलन बिगड़ जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस धरती पर हम खड़े हैं, वह खुद लगभग 1000 मील प्रति घंटे (1600 किमी/घंटा) की रफ्तार से अपनी धुरी पर घूम रही है?
इतनी जबरदस्त स्पीड के बावजूद हम न तो चक्कर खाते हैं, न गिरते हैं, और न ही किसी हलचल का अनुभव करते हैं। आखिर क्यों? आइए इसे विज्ञान की नजर से समझते हैं।
1. रिलेटिव मोशन का कमाल
धरती की गति हमें इसलिए महसूस नहीं होती क्योंकि हम और हमारे आसपास की हर चीज — हवा, पेड़, पानी, इमारतें — सब कुछ एक साथ उसी स्पीड से घूम रहे हैं।
बिलकुल वैसे ही जैसे एक तेज़ चलती ट्रेन में बैठा यात्री तब तक उसकी गति को नहीं महसूस करता जब तक बाहर झांके नहीं। इसे “रिलेटिव मोशन” कहा जाता है — सब कुछ एक साथ गति कर रहा हो तो गति महसूस नहीं होती।
2. ग्रैविटी का संतुलन
धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति (Gravity) हमें ज़मीन से चिपकाए रखती है।
अगर कल्पना करें कि पृथ्वी अचानक घूमना बंद कर दे, तो हम सभी उसी गति से सीधा फेंके जाएंगे — जैसे तेज़ चलती गाड़ी के अचानक रुकने पर झटका लगता है। लेकिन क्योंकि पृथ्वी लगातार और स्थिर गति से घूम रही है, इसलिए हमें कोई झटका नहीं लगता।
3. विशाल धरती और एंगुलर गति
भले ही पृथ्वी की रोटेशनल स्पीड 1000 मील प्रति घंटा हो, लेकिन इसका आकार इतना विशाल है कि उसका एंगुलर वेलोसिटी (कोणीय गति) काफी कम होती है।
इसलिए धरती का घूमना किसी विशालकाय रथ के धीमे मुड़ने जैसा होता है — गति है, पर तीव्रता का एहसास नहीं।
4. वायुमंडल भी साथ घूमता है
अगर धरती घूम रही होती और उसका वायुमंडल स्थिर रहता, तो हम हर समय तेज़ तूफानी हवाओं में होते। लेकिन सच यह है कि वायुमंडल भी पृथ्वी के साथ ही घूमता है, जिससे हमें हवा की कोई अतिरिक्त हलचल नहीं महसूस होती।
यह ऐसा ही है जैसे कार की खिड़कियां बंद हों और आप कार के भीतर हों — कार तेज चल रही होती है, पर अंदर हवा नहीं लगती।
5. शरीर की ‘बैलेंसिंग’ क्षमता
इंसानी शरीर में इंटरनल बैलेंसिंग सिस्टम होता है — कान के अंदर का हिस्सा जो हमारे संतुलन को बनाए रखता है।
यह प्रणाली धीरे-धीरे पृथ्वी की गति के अनुसार अनुकूल हो चुकी है। जब तक गति में अचानक बदलाव न हो, हमें किसी गति का अनुभव नहीं होता।