जांबाज सरदार Udham Singh जी का जन्म पंजाब के संगरूर जिले में हुआ था। उनके बचपन का नाम शेर सिंह था। इनके माता-पिता की मृत्यु छोटी उम्र में ही हो गई थी। उनके पिता का नाम सरदार तेहाल सिंह जम्मू और माता का नाम नारायण को था। उनका जन्म स्थान सिख परिवार के दलित परिवार में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा गुरुद्वारे में हुई।
बैसाखी वाले दिन जलिया वाले बाग में जनरल डायर ने जलियांवाला बाग मैं मीटिंग के दौरान दरवाजे पर तोप लगा दी और गोली चलवा दी। जिसमें 3000 लोग मारे गए। कुछ कुएं में गिर कर मरे। उधम सिंह की उम्र उस समय बहुत ही कम थी, लेकिन उन्होंने यह मंजर अपनी आंखों से देखा तब उधमसिंह में इस नरसंहार का बदला लेने की सोची थी।
उस समय सरदार भगत सिंह हथियार रखने के जुर्म में जेल में थे। स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी शहीद उधम सिंह गदर पार्टी से जुड़े एक भारतीय क्रांतिकारी थे जिन्हें दलित होने के कारण भुला दिया गया।
शहीद उधम सिंह ने होटल और फिल्मों में भी किया काम जानिए
उधम सिंह ने 1931 में वाया जर्मन होते हुए लंदन गए थे। होटल में काम किया। उधम सिंह ने हत्या करने से पहले कई फिल्मों में काम भी किया था। उस समय एक प्रोग्राम चल रहा था। उसी प्रोग्राम के दौरान उधम सिंह ने जनरल डायर को 6 गोली मारी। 21 साल पुराना मंसूबा पूरा हुआ।
1931 में उधम सिंह को जेल में डाल दिया गया और फिर बाद में 31 जुलाई 1940 को पेटना विले जेल में फांसी देकर हुई थी। दोषी बताया गया और फांसी दे दी गई। 1919 का ब्रिटिश कानून राज के खिलाफ लड़ाई में पंजाब प्रांत के अमृतसर से जलियांवाला बाग में ब्रिटिश सैनिकों द्वारा नागरिकों का नरसंहार का बदला लिया था। उधम सिंह जी की अस्थियां पंजाब सरकार ने लाकर संगरूर जिले में रखी। आजादी के लिए लड़े और शहीद हो गए।





