Lok Sabha Election 2024 : हरियाणा में कल यानी 4 जून मंगलवार को लोकसभा चुनाव के परिणाम घोषित हो चुके हैं जिसमें बीजेपी और कांग्रेस को पांच-पांच सीटों पर जीत हासिल हुई है। वहीं लोकसभा चुनाव में हरियाणा के अंदर कांग्रेस बीजेपी को छोड़कर जेजेपी, आईएनएलडी, एनसीपी व बसपा सहित सभी राजनैतिक दलों के प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई है। इनमें कुरुक्षेत्र से इनेलो के प्रत्याशी अभय चौटाला और हिसार से सुनैना चौटाला.. साथ ही हिसार से जेजेपी की नैना चौटाला, गुरुग्राम से जेजेपी प्रत्याशी और सिंगर राहुल फाजिलपुरिया सहित बड़ी जीत का दावा करने वाले करनाल से एनसीपी के वीरेंद्र मराठा व अन्य पार्टियों समेत 201 उम्मीदवारों की जमानत भी नहीं बच सकी है।
बता दें कि अभय चौटाला ने करनाल में मराठा का साथ देने के चलते करनाल से इनेलो का कोई भी उम्मीदवार नहीं खड़ा किया था और वहीं कुरुक्षेत्र में विरेंद्र मराठा ने अभय चौटाला को समर्थन दिया था। हालांकि जीत दोनों के हिस्से ही नहीं आए। बता दें कि जमानत बचाने के लिए प्रत्याशी को 16.67 फीसदी मत चाहिए ही होते हैं। अब कई लोगों के दिमाग में यह बात आ रही होगी कि जमानत राशि क्या होती है और इसे जब्त करने का क्या मतलब होता है। तो अब बात करते हैं कि आखिर यह जमानत राशि क्या होती है। जमानत जब्त होना क्या होता है और जमानत जब्त क्यों होती है। तो सबसे पहले जानते हैं कि जमानत राशि क्या होती है।
क्या है जमानत जो होती है जब्त
चुनाव लड़ने के लिए जब कोई प्रत्याशी नामाकंन दाखिल करता है तो उसको चुनाव आयोग के पास कुछ राशि जमा करानी होती है। इस राशि को ही जमानत कहा जाता है। यह निश्चित राशि इसलिए जमा करवाई जाती है ताकि चुनाव लड़ने वाला उम्मीदवार इसको गंभीरता से ले। हर चुनाव के लिए जमानत राशि अलग- अलग होती है।
कितनी होती है जमानत राशि
देखिए दरअसल, होता क्या है कि हमारे देश में पंचायत से लेकर राष्ट्रपति चुनाव तक हर चुनावों में उम्मीदवारों को चुनाव आयोग के पास एक निश्चित राशि जमा करवानी होती है और इसी राशि को कहा जाता है जमानत राशि और इस जमानत राशि का मकसद यह सुनिश्चित करना होता है कि जो उम्मीदवार चुनाव लड़ने में सक्षम हैं सिर्फ वहीं चुनाव लड़े। अब सवाल आता है कि जमानत राशि कितनी होती है तो देखिए हर चुनाव के हिसाब से जमानत राशि अलग-अलग होती है।
बता दें कि लोकसभा चुनाव में सामान्य वर्ग के लिए जमानत राशि 25000 रूपये होती है। साथ ही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए 12500 रूपये होती है। वहीं विधानसभा चुनाव की बात करें तो उसमें सामान्य वर्ग के लिए जमानत राशि 10000 रूपये होती है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए यह राशि 5000 रूपये होती है। इनके अलावा राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए जमानत राशि की रकम होती है 15000 रूपये।
क्यों होती है जमानत जब्त?
अब बात करते हैं कि जमानत जब्त क्यों होती है। तो देखिए चुनाव आयोग के नियम के अनुसार बता दें कि कुल मतों का अगर कोई उम्मीदवार 1/6 वां हिस्सा हासिल न कर पाएं तो उसकी जमानत जब्त हो जाती है। जैसे उदाहरण के लिए मान लीजिए कि किसी सीट पर 1 लाख वोट डाले गए हैं और उस सीट पर किसी उम्मीदवार के वोट 16,666 से कम है तो उसकी जमानत जब्त कर ली जाती है। अब एक सवाल यह भी आता है कि उम्मिदवारों को जब्त हुई जमानत राशि वापिस मिलती है या नहीं और अगर मिलती भी है तो कौनसी सिचुएशन में मिलती है।
कब मिलती है जमानत राशि वापिस
तो देखिए अगर कोई उम्मीदवार जीत जाता है तो उसको जमानत राशि वापिस मिल जाती है। फिर चाहे वो 1/6 से कम हिससे से जीता हो या फिर यदि उम्मीदवार का नामंकन रध हो जाता है या वह अम्मीदवार नामंकन वापिस ले लेता है तो जमानत राशि वापिस मिल जाती है। साथ ही अगर किसी उम्मीदवार के 1/6 से ज्यादा वोट आते हैं तो उसे भी जमानत राशि वापिस मिल जाती है। इन सबके अलावा वोटिंग से पहले यदि किसी उम्मीदवार की मौत हो जाती है तो उसके परिवार को जमानत राशि वापिस कर दी जाती है।