हरियाणा के पूर्व सीएम Om Prakash Chautala का 89 साल की उम्र में निधन हो गया है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के निधन के बाद प्रदेश सरकार ने 3 दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया है। उनके सम्मान में 21 दिसंबर को प्रदेशभर में अवकाश रहेगा। सूत्रों के माध्यम से पता चला है कि शुक्रवार को वे गुरुग्राम में अपने घर पर थे जब उन्हें दिल का दौरा पड़ा। आनन-फानन में उन्हें मेदांता अस्पताल लाया गया, जहां करीब आधे घंटे बाद दोपहर 12 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
“उनका अंतिम संस्कार तेजा खेड़ा में होगा, जो उनका पैतृक गांव है। यहां पर उनके परिवार और समर्थक उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होंगे और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। उनके निधन के बाद राज्य और देश भर से नेताओं और समर्थकों ने शोक व्यक्त किया है।
पीएम मोदी समेत कई नेताओं ने जताया दुख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओमप्रकाश चौटाला के निधन पर दुख जताया। पीएम मोदी ने चौटाला के साथ अपनी एक तस्वीर सोशल मीडिया एक्स पर शेयर कर उन्हें श्रद्धांजलि दी हैं। उन्होंने पोस्ट शेयर कर लिखा हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। प्रदेश की राजनीति में वे वर्षों तक सक्रिय रहे और चौधरी देवीलाल जी के कार्यों को आगे बढ़ाने का निरंतर प्रयास किया। शोक की इस घड़ी में उनके परिजनों और समर्थकों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। ॐ शांति।
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, और कई अन्य नेताओं ने ओम प्रकाश चौटाला को श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने एक्स पर लिखा, ”इनेलो सुप्रीमो एवं हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी ओमप्रकाश चौटाला का निधन अत्यंत दुःखद है। मेरी ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि। उन्होंने प्रदेश और समाज की जीवनपर्यंत सेवा की। देश व हरियाणा प्रदेश की राजनीति के लिए यह अपूरणीय क्षति है। प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान और शोकाकुल परिजनों को यह दुःख सहने की शक्ति दें। ॐ शांति”
वहीं केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा, ”हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री, इनेलो प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला के निधन का दुखद समाचार मिला। प्रदेश के विकास में उनके अहम योगदान को सदैव याद किया जाएगा। दुःख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवार के साथ हैं। ईश्वर से प्रार्थना है कि वह दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें। ॐ शांति!”
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा, ”हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा में हमारे साथी रहे चौ. ओम प्रकाश चौटाला जी के निधन का समाचार दुःखद है। उनसे हमारे पारिवारिक संबंध रहे और अपने मुख्यमंत्रित्व काल में उन्होंने प्रदेश के विकास में काफी योगदान दिया। दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि और परिजनों के प्रति गहरी संवेदनाएँ व्यक्त करता हूं। भगवान से प्रार्थना है कि दुःख की इस घड़ी में परिवारजनों को सम्बल प्रदान करें।”
डॉ. सुशील गुप्ता ने भी जताया दुख
हरियाणा की राजनीति में एक लंबा संघर्ष करने वाले और चौधरी देवीलाल की विरासत को आगे बढ़ाने वाले ओम प्रकाश चौटाला के निधन पर प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुशील गुप्ता ने गहरा दुख व्यक्त किया है। डॉ. सुशील गुप्ता ने कहा, “चौधरी ओम प्रकाश चौटाला ने हरियाणा की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया और चौधरी देवीलाल की विरासत को संभाला। उनकी नेतृत्व क्षमता और समर्पण को हमेशा याद किया जाएगा।”
डॉ. सुशील गुप्ता ने कहा, “हम प्रभु से प्रार्थना करते हैं कि उन्हें अपने चरणों में स्थान दे और परिवार को इस कठिन समय में दुख सहने की ताकत दे।” ओम प्रकाश चौटाला ने हरियाणा की राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया और कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। उनके नेतृत्व में हरियाणा ने कई महत्वपूर्ण सुधार देखे। उनका निधन हरियाणा की राजनीति में एक युग का अंत है।
7 बार विधायक और 5 बार सीएम रह चुके
ओम प्रकाश चौटाला सात बार के विधायक, पांच बार के सीएम रहे चुके हैं। ओम प्रकाश चौटाला हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और उप प्रधानमंत्री चौधरी देवी लाल के बेटे हैं। देश समेत हरियाणा की राजनीति में ओमप्रकाश चौटाला ने लंबी पारी खेली और वे जाट बिरादरी के प्रमुख नेताओं में शुमार रहे। वे राष्ट्रीय स्तर पर राजग और संयुक्त राष्ट्रीय प्रगतिशील गठबंधन का हिस्सा रहे।
ओम प्रकाश चौटाला के दो बेटे अजय सिंह व अभय सिंह और एक बेटी सुनीता है। उनके पुत्र अजय सिंह भिवानी लोकसभा सीट से पूर्व सांसद है और छोटे बेटे अभय ऐलनाबाद से पूर्व विधायक हैं। उनके पोते दुष्यंत चौटाला हिसार लोकसभा से पूर्व सांसद और हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं।
राजनीतिक करियर
चौटाला का जन्म 1 जनवरी, 1935 को हुआ था और वे पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की पांच संतानों में सबसे बड़े थे। चौटाला की चुनावी राजनीति की शुरुआत 1968 में हुई, जब उन्होंने देवीलाल की परंपरागत सीट ऐलनाबाद से चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उनकी हार हुई, लेकिन उन्होंने हार मानने की बजाय हाईकोर्ट का रुख किया और जीत हासिल की। 1970 में हुए उपचुनाव में जनता दल के टिकट पर उन्होंने जीत दर्ज की और विधायक बने।
विधायक से मुख्यमंत्री तक का सफर
साल 1987 में लोकदल ने हरियाणा में 90 सीटों में से 60 सीटें जीतीं और ओम प्रकाश चौटाला के पिता देवीलाल दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। इसके बाद देवीलाल केंद्र सरकार में उपप्रधानमंत्री बने। दिल्ली में एक बैठक में ओपी चौटाला को मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया। 2013 में शिक्षक भर्ती घोटाले के मामले में चौटाला तिहाड़ जेल में बंद थे। 82 साल की उम्र में उन्होंने जेल में रहते हुए पहले दसवीं और फिर बारहवीं की परीक्षा पास की, जो उनकी शिक्षा के प्रति समर्पण और आत्म-प्रेरणा की कहानी को सामने लाता है।
2 दिसंबर 1989 को ओमप्रकाश चौटाला पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। तब वे राज्यसभा सांसद थे। CM बने रहने के लिए उन्हें 6 महीने के भीतर विधायक बनना जरूरी था। देवीलाल ने उन्हें अपनी पारंपरिक सीट महम से चुनाव लड़वाया, लेकिन खाप पंचायत ने इसका विरोध शुरू कर दिया।
27 फरवरी, 1990 को महम में वोटिंग हुई, जो हिंसा और बूथ कैप्चरिंग की भेंट चढ़ गई। चुनाव आयोग ने आठ बूथों पर दोबारा वोटिंग कराने के आदेश दिए। जब दोबारा वोटिंग हुई, तो फिर से हिंसा भड़क उठी। चुनाव आयोग ने फिर से चुनाव रद्द कर दिया। लंबे सियासी घटनाक्रम के बाद 27 मई को फिर से चुनाव की तारीखें तय की गईं, लेकिन वोटिंग से कुछ दिन पहले निर्दलीय उम्मीदवार अमीर सिंह की हत्या हो गई।
चौटाला ने दांगी के वोट काटने के लिए अमीर सिंह को डमी कैंडिडेट बनाया था। अमीर सिंह और दांगी एक ही गांव मदीना के थे। हत्या का आरोप भी दांगी पर लगा। जब पुलिस दांगी को गिरफ्तार करने उनके घर पहुंची, तो उनके समर्थक भड़क गए। पुलिस ने भीड़ पर गोलियां चली दीं। इसमें 10 लोगों की मौत हो गई।
पहली बार में सीएम बनने के साढ़े 5 महीने बाद इस्तीफा देना पड़ा
महम में हुई इस हिंसा का शोर संसद में भी गूंजने लगा। प्रधानमंत्री वीपी सिंह और गठबंधन के दबाव में तत्कालीन उपप्रधानमंत्री देवीलाल को झुकना पड़ा। पहली बार मुख्यमंत्री बनने के साढ़े 5 महीने बाद ही ओमप्रकाश चौटाला को इस्तीफा देना पड़ा। उनकी जगह बनारसी दास गुप्ता को CM बनाया गया।
दूसरी बार 5 दिन में ही मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा
कुछ दिन बाद चौटाला दड़बा सीट से उपचुनाव जीत गए। बनारसी दास को 51 दिन बाद ही पद से हटाकर चौटाला दूसरी बार CM बन गए। मगर, महम में हुई हिंसा का मामला ठंडा नहीं हुआ। प्रधानमंत्री वीपी सिंह भी चाहते थे कि चौटाला पर जब तक केस चल रहा है वे CM न बनें। मजबूरन 5 दिन बाद ही चौटाला को फिर से पद छोड़ना पड़ा। अब की बार उन्होंने मास्टर हुकुम सिंह फोगाट को CM बनाया।
केंद्र की मदद से तीसरी बार सिर्फ 15 दिन के लिए मुख्यमंत्री बने
साल 1990 के बाद प्रधानमंत्री वीपी सिंह सरकार को बाहर से समर्थन दे रही भाजपा ने राम मंदिर बनाने के लिए रथयात्रा निकालने का फैसला किया। वीपी सिंह ने आडवाणी से रथयात्रा न निकालने के लिए कहा, लेकिन वे नहीं माने। इसके बाद आडवाणी को आडवाणी को बिहार के समस्तीपुर से गिरफ्तार कर लिया गया।
गिरफ्तारी से नाराज भाजपा ने वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस से लिया। 7 नवंबर 1990 को वीपी सिंह की सरकार गिर गई। इसके बाद जनता दल से चंद्रशेखर पीएम बन गए और देवीलाल को उपप्रधानमंत्री बना दिया। इसके चार महीने बाद यानी, मार्च 1991 में देवीलाल ने हुकुम सिंह को हटाकर ओमप्रकाश चौटाला को तीसरी बार हरियाणा का मुख्यमंत्री बनवा दिया।
इस फैसले से राज्य में पार्टी के कई विधायक नाराज हो गए। कुछ विधायकों ने पार्टी भी छोड़ दी। नतीजा ये हुआ कि 15 दिनों के भीतर ही सरकार गिर गई। राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया। 15 महीने के भीतर तीसरी बार चौटाला ने CM पद से इस्तीफा दिया था।