Copy of Copy of Copy of Copy of Copy of Copy of हिमाचल में फोरलेन के खिलाफ गरजे लोग NHAI को घेरा 13

पहले बच्‍चों ने कागज में लिखी मां को संपत्ति को बाहर रखने की बात, फ‍िर जहर की 30 गोली चार गिलास में घोलकर पी गए: मां-बेटे और पोता-पोती ने दी जान

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सागर में सामूहिक आत्महत्य

पारिवारिक विवाद के चलते चार ने दी जान

सुसाइड नोट में संपत्ति के बंटवारे का जिक्र

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सागर जिले के खुरई थाना क्षेत्र के टीहर गांव में शुक्रवार देर रात एक ही परिवार के चार सदस्यों ने सामूहिक आत्महत्या कर ली। इस हृदयविदारक घटना से पूरे गांव में हड़कंप मच गया है। मृतकों में मनोहर लोधी (45), उनकी मां फूलरानी (70), बेटी शिवानी (18) और बेटा अनिकेत (16) शामिल हैं। घटना के समय फूलरानी और अनिकेत की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि मनोहर और शिवानी ने अस्पताल ले जाते समय या इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।

पुलिस के अनुसार, चारों लोगों ने तीन डिब्बियों की कुल तीस जहर की गोलियां चार गिलास में घोलकर पी ली थीं। यह घटना मनोहर के खेत में बने मकान में हुई। मौके पर पहुंची पुलिस को मकान की पहली मंजिल के कमरे में मां फूलरानी का शव पलंग पर मिला, जबकि मनोहर और उसके दोनों बच्चे अनिकेत और शिवानी पलंग के पास बेहोशी की हालत में पाए गए।

घटनास्थल से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है, जिसमें संपत्ति की वसीयत का विस्तृत जिक्र है। नोट में स्पष्ट रूप से लिखा है कि मनोहर की पत्नी द्रौपदी लोधी का किसी भी संपत्ति पर कोई हक नहीं रहेगा। सुसाइड नोट में यह भी उल्लेख है कि हमारी पूरी जमीन तीन भाइयों को जाती है। जगदीश की सेवा जो करेगा, उसे ही उसकी जमीन मिलेगी। तीन भैंसें हैं, जो एक-एक बुआ और चाचा को दी जाएं। भैंस की पड़िया (बछिया) बड़े पापा को सौंपी जाए। पूजा के बर्तन और सामग्री गांव के पंडित जी को दिए जाएं।

पुलिस का प्रारंभिक आकलन है कि यह सामूहिक सुसाइड पारिवारिक विवाद की वजह से हुआ है। पुलिस मनोहर की पत्नी द्रौपदी लोधी के बयान भी लेगी, जो घटना से कुछ दिन पहले अपने मायके डोमा-केसली चली गई थीं। बताया गया है कि घटना से पहले मनोहर और द्रौपदी के बीच फोन पर बहस भी हुई थी। ग्रामीणों और परिचितों के अनुसार, मनोहर और द्रौपदी के बीच आए दिन झगड़े होते रहते थे, जिससे बच्चे भी मानसिक रूप से परेशान रहने लगे थे। कोटवार जमुना प्रसाद ने बताया कि मनोहर अपनी पत्नी पर शक करता था और उनके बीच मनमुटाव था।

मृतक मनोहर गांव का एक समृद्ध किसान था और उसके पास करीब सवा 4 एकड़ जमीन थी। उसके तीन भाई गोविंद, जगदीश, नंदराम हैं। इनमें से एक भाई जगदीश मानसिक रूप से कमजोर है, जो मनोहर के साथ ही रहता था। करीब 10 साल पहले सभी भाइयों का बंटवारा हो चुका था। सुसाइड नोट में मनोहर के फोन-पे एकाउंट में ₹68,000 बड़े पापा को देने और दादी के 4 जेवर चारों बुआ को बराबर बांटने का जिक्र है। साथ ही यह भी लिखा है कि हमारी जमीन चाचा जगदीश के नाम की जाए और गोदरेज की अलमारी में रखे ₹1.20 लाख तेरहवीं में खर्च किए जाएं। इसमें यह भी कहा गया है कि मामा से ₹2 लाख का कर्ज लिया था, जिसे पापा ने ₹2.40 लाख चुका दिया है और उनके ऊपर किसी की कोई देनदारी नहीं है

पुलिस का मानना है कि सुसाइड नोट मनोहर और उनके बच्चों ने मिलकर लिखा है, क्योंकि इसमें बच्चों ने भी अपनी मां को संपत्ति से अलग रखा है, जिससे लगता है कि बच्चे भी अपनी मां से नाराज थे। हालांकि, सुसाइड नोट में आत्महत्या के कारण का स्पष्ट उल्लेख नहीं है और न ही किसी व्यक्ति को जिम्मेदार ठहराया गया है। शुरुआत में मनोहर ने भाइयों के बारे में जिक्र किया है। एडिशनल एसपी लोकेश सिन्हा ने बताया कि पोस्टमार्टम कराया गया है और पीएम रिपोर्ट आने पर स्थिति और स्पष्ट होगी। हैंडराइटिंग की भी जांच की जा रही है।

ग्रामीणों ने बताया कि मनोहर अच्छा आदमी था, लेकिन पिछले कुछ महीनों से चुपचाप और गुमसुम रहने लगा था। घर का माहौल तनावपूर्ण था, और बच्चों पर भी इसका असर पड़ रहा था। गांव में हर कोई इस घटना से स्तब्ध है।