➤ हरियाणा सीईटी पॉलिसी को हाईकोर्ट में चुनौती
➤ तकनीकी पदों के लिए अलग परीक्षा की मांग तेज
➤ 21 अगस्त को अगली सुनवाई, सरकार से जवाब तलब
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हरियाणा में ग्रुप-सी और ग्रुप-डी पदों की भर्ती के लिए लागू की गई कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET) पॉलिसी को लेकर बड़ा कानूनी विवाद खड़ा हो गया है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में दायर याचिका में इस पॉलिसी को मनमाना, अतार्किक और असंगत करार देते हुए चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि तकनीकी और गैर-तकनीकी पदों के लिए एक ही तरह की परीक्षा आयोजित करना विशेषज्ञ उम्मीदवारों के साथ अन्याय है, क्योंकि इन पदों के लिए आवश्यक विशेष ज्ञान और अनुभव को नजरअंदाज कर दिया गया है।
याचिका में कहा गया कि स्वास्थ्य, कृषि, इंजीनियरिंग, बिजली, मैकेनिकल, कंप्यूटर सहित विभिन्न तकनीकी क्षेत्रों में कार्य करने वाले पदों के लिए विशेषज्ञता जरूरी होती है, लेकिन सरकार ने 31 दिसंबर 2024 की अधिसूचना के तहत तकनीकी पदों को भी सामान्य CET में शामिल कर दिया। इससे प्रतियोगिता का स्तर तकनीकी उम्मीदवारों के खिलाफ चला गया।
याचिकाकर्ताओं ने उदाहरण देते हुए बताया कि 26 मई 2025 और 27 जून 2025 को हुई CET परीक्षाओं में तकनीकी पदों के लिए भी वही प्रश्न पूछे गए जो गैर-तकनीकी पदों के लिए थे। इससे तकनीकी विषयों के उम्मीदवारों की तैयारी का कोई विशेष महत्व नहीं रहा और वे अनुचित प्रतिस्पर्धा में पिछड़ गए।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि इस नीति से जुड़े मुद्दों पर विस्तृत जवाब तैयार करने के लिए समय चाहिए। अदालत ने सरकार को समय देते हुए अगली सुनवाई 21 अगस्त 2025 तय की है। अब देखना होगा कि कोर्ट इस नीति पर क्या रुख अपनाता है और क्या तकनीकी पदों के लिए अलग CET आयोजित करने का रास्ता खुलता है।