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रजिस्ट्री घोटाले पर सरकार का एक्शन, दो नायब तहसीलदार निलंबित

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● गुरुग्राम और कुरुक्षेत्र के नायब तहसीलदार निलंबित
● चार दर्जन से अधिक राजस्व अफसर सरकार के रडार पर
● कोविड काल के रजिस्ट्री घोटाले से जुड़े तार उजागर


Haryana tehsildar suspension: हरियाणा सरकार अब तहसीलों में भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के मूड में है। इसी के तहत सरकार ने गुरुग्राम के बादशाहपुर और कुरुक्षेत्र के दो नायब तहसीलदारों को निलंबित कर दिया है। बादशाहपुर के नायब तहसीलदार प्रमोद कुमार पर बिना अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) के रजिस्ट्री करने का गंभीर आरोप है, जबकि कुरुक्षेत्र के परमजीत पर दस्तावेज उपलब्ध न कराने का दोष है। प्रमोद कुमार के खिलाफ राजस्व मंत्री विपुल गोयल और अन्य विभागीय अधिकारियों के पास लंबे समय से शिकायतें दर्ज हो रही थीं। वहीं, कुरुक्षेत्र के डीसी ने परमजीत के खिलाफ निलंबन की सिफारिश की थी।

निलंबन के बाद इन दोनों अधिकारियों को क्रमशः सोनीपत और अंबाला डीसी कार्यालय से अटैच किया गया है। यह कार्रवाई दर्शाती है कि सरकार अब तहसीलों में अनियमितताओं को लेकर किसी प्रकार की ढील नहीं बरतना चाहती।

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सूत्रों के अनुसार, प्रदेशभर में राजस्व विभाग के लगभग 4 दर्जन अधिकारी सरकार के रडार पर हैं। इनकी संदिग्ध गतिविधियों पर आधारित एक आंतरिक रिपोर्ट सरकार के पास पहुंच चुकी है। खास बात यह है कि हाल ही में भ्रष्ट पटवारियों की सूची लीक होने के बाद सरकार अत्यधिक सतर्क हो गई है। यही कारण है कि इन पर एक साथ कार्रवाई न करके धीरे-धीरे सख्ती की जा रही है।

पिछले महीने राजस्व और खुफिया विभाग की एक संयुक्त जांच में पाया गया था कि कई तहसीलदार, नायब तहसीलदार व अन्य राजस्व अधिकारी रजिस्ट्री प्रक्रिया में अनियमितताओं में संलिप्त रहे हैं। इनमें बिना एनओसी के अधिसूचित क्षेत्रों में रजिस्ट्री करना और आय से अधिक संपत्ति रखना जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं।

पूर्व भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के समय भी रजिस्ट्री घोटाला बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना था, लेकिन उस दौरान दोषियों पर कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं हो सकी। अब वर्तमान सरकार ने हरियाणा नगरीय विकास एवं विनियमन अधिनियम 1975 की धारा 7A का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध सख्त रवैया अपनाया है।

बताया जा रहा है कि इस बार सरकार कोविड काल के दौरान सामने आए रजिस्ट्री घोटाले से जुड़े अफसरों पर विशेष नजर रख रही है। उस समय गठित विशेष जांच समिति ने 34 तहसीलदारों व नायब तहसीलदारों सहित कुल 232 राजस्व अधिकारियों को दोषी पाया था, जिन पर भू-माफियाओं को लाभ पहुंचाने के लिए राजस्व रिकॉर्ड में हेरफेर करने का आरोप था। अब इन्हीं नामों में से कुछ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो चुकी है, और आने वाले समय में और भी सख्त कदम उठाए जा सकते हैं।