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हुड्डा खामोश, सैलजा मुस्कराईं… क्या तस्वीरों में छिपा है हरियाणा कांग्रेस का भविष्य?

हरियाणा की बड़ी खबर

➤ हुड्डा-सैलजा 9 महीने बाद एक मंच पर, राहुल के निर्देश के बाद दिखी सियासी नरमी
➤ संगठन विस्तार से पहले दिखी राजनीतिक बर्फबारी की पिघलन


Hooda Selja Meeting: हरियाणा कांग्रेस में लंबे समय से जारी गुटबाजी के बीच रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा का एक मंच पर बैठना कई सियासी संकेत दे गया। मौका था हुड्डा की भाभी राजवती हुड्डा की श्रद्धांजलि सभा, लेकिन माहौल में राजनीतिक संभावनाओं की आहट साफ महसूस की गई।

साथ बैठे हुड्डा और सैलजा के बीच संवाद हुआ, लेकिन कैमरे ने एक खास बात कैद की — जहां कुमारी सैलजा और चौ. बीरेंद्र सिंह मुस्कराते दिखे, वहीं हुड्डा खामोश नजर आए। इस ‘तीन चेहरों की तस्वीर’ को सियासी हलकों में काफी मायने दिए जा रहे हैं। यह वही सैलजा हैं जिन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले सीएम पद के लिए हुड्डा के समानांतर खुद को दावेदार घोषित किया था। 72 टिकट हुड्डा खेमे को मिलने और एक सीट पर जातिसूचक टिप्पणी के चलते सैलजा ने चुनाव प्रचार ही छोड़ दिया था।

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अब जब कांग्रेस में संगठनात्मक फेरबदल चल रहा है और राहुल गांधी ने 4 जून को हरियाणा दौरे में साफ कहा कि गुटबाजी बर्दाश्त नहीं होगी, ऐसे में सैलजा का हुड्डा के बगल बैठना महज औपचारिकता नहीं माना जा सकता। यह उस सियासी जमीनी हलचल का हिस्सा है, जिसकी अगली परिणति हरियाणा कांग्रेस का नेतृत्व तय कर सकती है।

कांग्रेस आलाकमान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सिफारिश नहीं चलेगी, युवा नेतृत्व को मौका मिलेगा और नये जिलाध्यक्ष तय होंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सैलजा और हुड्डा की सुलह, कांग्रेस का चुनावी फार्मूला बनने जा रही है?

श्रद्धांजलि सभा में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, योगगुरु रामदेव, नवीन जिंदल, राज बब्बर, उदयभान जैसे कई बड़े नेता पहुंचे। लेकिन हुड्डा-सैलजा का साथ बैठना सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बना रहा।