➤ मानसून ने इस बार 5 दिन पहले हरियाणा में दी दस्तक, 25 साल में 14वीं बार तय समय से पहले आया
➤ अगले 36 घंटे में पूरे राज्य में छा जाएगा मानसून, 25-26 जून के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी
➤ 114% बारिश का अनुमान, खेती, महंगाई और अर्थव्यवस्था तीनों पर होगा सीधा असर
हरियाणा में इस बार मानसून ने तय समय से पांच दिन पहले ही दस्तक दे दी है, जिससे किसानों और आम लोगों में राहत की लहर है। मानसून की सामान्य तारीख 29 जून मानी जाती है, लेकिन इस बार यह 24 जून को ही पहुंच गया। पिछले 25 वर्षों में यह 14वीं बार है जब मानसून समय से पहले आया है। मानसून की ट्रफ लाइन उत्तर प्रदेश के बिजनौर से हरियाणा के करनाल और कैथल होते हुए गुजर रही है। इससे अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से नमी भरी हवाएं आ रही हैं।
मौसम विभाग के अनुसार, अंबाला, पंचकूला और यमुनानगर में तेज बारिश की चेतावनी है। यमुनानगर, करनाल, पानीपत और हिसार में मंगलवार रात से रुक-रुककर बारिश जारी है। अगले 36 घंटे में पूरा हरियाणा मानसूनी बारिश की चपेट में आ जाएगा। 25 और 26 जून के लिए ऑरेंज अलर्ट घोषित किया गया है, जिसमें भारी बारिश की आशंका जताई गई है।
पिछले 24 घंटों में प्रदेश में औसतन 5.9 मिलीमीटर बारिश हुई है। कुरुक्षेत्र में सबसे ज्यादा 36 मिमी. बारिश रिकॉर्ड की गई है। बारिश के चलते तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई है। मंगलवार को सभी जिलों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री से नीचे आ गया। सिरसा सबसे गर्म रहा (38.6°C) जबकि करनाल सबसे ठंडा रहा (30.2°C)। पानीपत, हिसार और फरीदाबाद जैसे जिलों में भी तापमान 31 से 36 डिग्री के बीच रहा।
मौसम विभाग चंडीगढ़ के निदेशक डॉ. सुरेंद्र पाल के अनुसार, इस बार मानसून सीजन में 114% बारिश होने की संभावना है, जबकि सामान्य तौर पर यह 438 मिमी. होती है। इस बार 475 मिमी. तक बारिश होने का अनुमान है। 1 जून से 24 जून तक पहले ही 38.7 मिमी. बारिश हो चुकी है।
मानसून का राज्य पर प्रभाव बहुआयामी है। खेती-किसानी पर इसका सीधा असर पड़ेगा क्योंकि राज्य के 43.5 लाख परिवार खेती से जुड़े हैं। खासकर धान की फसल जो 34.92 लाख एकड़ में लगाई जाती है, अच्छी बारिश से ज्यादा उपज देगी और ट्यूबवेल पर डीजल खर्च कम होगा। इससे किसानों की लागत घटेगी और मुनाफा बढ़ेगा।
अर्थव्यवस्था पर भी इसका बड़ा असर पड़ेगा। लगभग 19 हजार करोड़ रुपये का बासमती चावल हर साल निर्यात होता है। बारिश से उत्पादन बढ़ने पर निर्यात में भी बढ़ोतरी होगी जिससे विदेशी मुद्रा भंडार भी मजबूत होगा। ग्रामीण इलाकों में आय बढ़ने से बाजारों में मांग बढ़ेगी, जो कारखानों के उत्पादन और रोजगार दोनों को गति देगा।
महंगाई पर नियंत्रण की उम्मीद भी बढ़ गई है। अगर फसलों की पैदावार बढ़ी, तो खाद्य वस्तुओं के दाम घटेंगे। इससे रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती कर सकता है, जिससे आम लोगों को लोन सस्ते मिल सकते हैं।
भविष्य की दृष्टि से भी यह बारिश अहम मानी जा रही है। हरियाणा के 143 ब्लॉकों में से 88 ब्लॉक डार्क जोन में हैं और भूजल स्तर 22 मीटर नीचे जा चुका है। ऐसे में बारिश से भूजल स्तर सुधारने में मदद मिलेगी और जल संरक्षण की सरकारी योजनाएं भी अधिक प्रभावी साबित होंगी।