यशपाल शर्मा: ऐसा अभिनेता जिसने छोड़ दिया बॉलीवुड और हरियाणवी सिनेमा को दिलाई नई पहचान

हरियाणा की शान

बॉलीवुड फिल्मों में समय-समय पर ऐसे बहुत से अभिनेता आते हैं जो अपने दमदार अभिनय से बतौर विलेन अपनी एक अलग पहचान बनाते हैं। अपने किरदारों को उन्होंने कुछ इस तरह निभाया है कि दर्शकों ने उन्हें बेहद पसंद किया है।

अपने दमदार अभिनय से हर तरह के किरदार में अपनी छाप छोड़ने वाले ऐसे ही अभिनेताओं में से एक हैं – यशपाल शर्मा।
90 के दशक में अपने करियर की शुरूआत करने वाले यशपाल शर्मा आज एक्टिंग जगत का मशहूर सितारा बन चुके हैं।

यशपाल शर्मा एक ऐसे अभिनेता के रूप में उभरें हैं जिन्होंने छोटे और बड़े पर्दे पर थिएटर में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दर्शाया है। साथ ही उन्होंने बॉलीवुड की कई फिल्मों में आंतरिक भूमिकाएं निभाई हैं। उनकी तीन हरियाणवी फिल्में नेशनल अवॉर्ड जीत चुकी हैं। तो आइए जानते हैं यशपाल शर्मा के सफर की कहानी।

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यशपाल शर्मा का जन्म एवं शुरुआती जीवन
बड़ी फिल्मों में ढेरों दिग्गज़ अभिनेताओं के बीच अपनी दमदार मौजुदगी दर्ज करवाने वाले यशपाल शर्मा का जीवन कितने कठिन संघर्षों से भरा हुआ है इसका अंदाज़ा आप उनके शुरुआती जीवन के बारे में जानकर बड़ी ही आसानी से लगा सकते हैं।

सबसे पहले बात करते हैं यशपाल शर्मा की पारिवारिक पृष्ठभूमि की। यशपाल शर्मा का जन्म हरियाणा के हिसार शहर में पिता प्रेमचंद शर्मा के निम्न मध्यमवर्गीय घर में 1 जनवरी 1965 को हुआ।

उनके पिता हरियाणा के सरकारी विभाग पीडब्ल्यूडी में बतौर चपरासी का काम करते थे। उनकी माताजी एक कुशल ग्रहणी थी। कैंसर से ग्रस्त होने के कारण यशपाल के बचपन में ही उनकी माता जी का स्वर्गवास हो गया।

यशपाल का बचपन अपने 6 भाई-बहनों के साथ गुजरा। बचपन में यशपाल को घर में सभी बिट्टू के नाम से बुलाते थे। घर में सदस्य अधिक होने के कारण एक चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी का 7 बच्चों की परवरिश एक साथ करना कोई आसान काम नही था, और इसी वज़ह से सिर्फ यशपाल और उनके छोटे भाई ही कॉलेज जा पाए। बाकी सभी भाई-बहनों को दसवीं के बाद की पढ़ाई छोड़नी पड़ी।

YASPAL CHILD

यशपाल शर्मा की शिक्षा
यशपाल शर्मा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हिसार से प्राप्त की। बचपन से ही अभिनय एवं एक्टिंग का शौक होने के कारण उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन लिया और यहां से अभिनय एवं नाटक के विषय में स्नातक की शिक्षा प्राप्त की।

मुश्किलों भरा बचपन,कभी रंग बेचे तो कभी पटाखे, कभी 300 रूपये में किया ज्वैलरी की दुकान पर काम
यशपाल शर्मा का बचपन बेहद गरीबी में बीतने से उन्हें अपनी जिम्मेदारियों का अहसास बालकपन में ही हो गया। शायद यही वजह रही कि जिस उम्र में बच्चे खेलते-कूदते हैं, यशपाल शर्मा ने उस उम्र से काम करना शुरू कर दिया।

परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण यशपाल शर्मा को आठवीं क्लास से ही काम करना पड़ा ताकि अपने परिवार का सहारा बन सके। इस दौरान उन्होंने 50 रुपये के लिये दूसरों के खेतों में भी काम किया। कभी साइकिल के पंचर लगाए, तो कभी चक्की पे आटा पीसा। कभी सरसों के तेल की मिल में काम किया, तो कभी टीन के डब्बे के कारखाने में काम किया, कभी साइकिल रिक्शा चलाया, तो कभी तख़त बिछाकर रंग और पटाखे भी बेचे।

बाद में कॉलेज की पढ़ाई के समय यशपाल दिन में ट्यूशन पढ़ाने के साथ-साथ बतौर टाइपिस्ट पार्ट टाइम जॉब करने लगे और शाम को 6 बजे के बाद नाइट कॉलेज में अपनी क्लास करते थे।

इसके बाद यशपाल शर्मा ने एक ज्वैलरी शॉप में काम किया। तब उन्हें महीने के मात्र 300 रुपये मिलते थे। लेकिन यशपाल शर्मा कभी भी अपने उन दुखभरे दिनों को याद कर दुखी नहीं होते। बल्कि उन दिनों को वह अपनी एक अनमोल धरोहर मानते हैं, जिसके कारण आज वह एक प्रसिद्ध एक्टर बने हैं।

बचपन में रामलीला के मंच से मिली एक्टिंग करने की प्रेरणा
यशपाल शर्मा को बचपन से ही एक्टिंग का शौक था। इसलिए पढ़ाई के साथ-साथ वह छोटे-मोटे कार्यक्रमों में हिस्सा लेने लगे। यशपाल दशहरे के दौरान रामलीला में और जन्माष्टमी के दौरान कृष्णलीला में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे।

अपने कॉलेज के दौरान एक बार उन्होंने एक कविता प्रतियोगिता में हिस्सा लिया जिसमें उन्हें फर्स्ट प्राइज़ मिला। बस यहीं से यशपाल ने ठान लिया कि अब उन्हें रंगमंच पर ही काम करना है। इसके बाद उन्होंने कॉलेज के लिये विभिन्न नाटक प्रतियोगिताओं में काफी पुरस्कार हासिल किये।

हिसार में थियेटर के दौरान यशपाल की मुलाक़ात नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के जाने- माने रंगकर्मी राजीव मनचंदा से हुई। उनके साथ जुड़कर यशपाल ने थियेटर में काम किया। रामलीला के मंच से लगा एक्टिंग का चस्का यशपाल शर्मा को फर्श से अर्श तक ले गया।

नाट्य समारोह का जादू यशपाल पर कुछ ऐसा चढ़ा कि साढ़े चार महीने तक रुके दिल्ली
यशपाल को दिल्ली में होने वाले एक नाट्य समारोह के बारे में पता चला, जिसमें रंगमंच और फिल्मों के बड़े-बड़े दिग्गज़ों के साथ नसीरूद्दीन शाह भी अपने नाटक के साथ आने वाले थे। यह सुनकर तो यशपाल से रहा नहीं गया, क्योंकि यशपाल शर्मा नसीरूद्दीन शाह के बहुत बड़े फैन थे।

दिल्ली शहर हिसार से बहुत दूर नहीं है तो यशपाल बिना घर में किसी को बताये 2 दिन के लिए दिल्ली चले गये। लेकिन उस नाट्य समारोह का जादू उन पर कुछ ऐसा चढ़ा कि वे लगभग साढ़े चार महीने तक वहीं रुक गये। उन्होंने घर पर चिट्ठी लिख दी कि वे अब यहीं रहकर नाटकों में काम करेंगे। इस दौरान यशपाल दिल्ली के ही एक नाटक ग्रुप ‘खिलौना’ से जुड़ गये।

YASPAL THEATER edited

मुंबई से शुरू हुआ यशपाल शर्मा का फिल्मों की दुनिया का सफर
यशपाल को मुंबई में कई सालों तक स्ट्रगल करना पड़ा। लेकिन शुरुआती दौर में उन्होंने आहट और सीआइडी जैसे कुछ शोज़ में काम किया। एक दिन जब यशपाल ने एक डेली सोप की शूटिंग देखी तो महसूस किया कि इस काम में क्रियेटिविटी नहीं है। सिर्फ मशीनों की तरह लोग काम किये जा रहे हैं। उन्होंने उसी दिन मन बना लिया कि भले ही वे बेरोज़गार रहेंगे लेकिन डेली शोप में फिलहाल अभी के लिए काम नहीं करेंगे।

उनकी कड़ी मेहनत आखिर में रंग लाई और फिल्मों में उन्हें अपनी कला का प्रदर्शन करने का पहला मौका गोविंदा निहलानी की फिल्म ‘हजार चौरासी की मां’ में मिला जो कि वर्ष 1998 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म से उन्हें ज्यादा लोग नही जान पाए। इंडस्ट्री में एक बड़ा मुकाम पाने में यशपाल शर्मा को लंबा वक्त लग गया।

यशपाल शर्मा वर्ष 2001 में आई फिल्म ‘लगान’ में ‘लाखा’ और वर्ष 2003 में बनी फिल्म ‘हजारों ख्वाहिशें ऐसी’ में अपने किरदार ‘रणधीर सिंह’ के लिए जाने जाते हैं। जिन्हें उनके फैन्स द्वारा बेहद पसंद किया गया।

यशपाल अपने जीवन में लगभग 62 फिल्में और 4 टीवी धारावाहिकों में नजर आ चुके हैं, इसी के साथ ही उन्हें अपने करियर में लगभग 10 इंडियन टेली अवॉर्ड से भी नवाजा गया है।

‘लगान’ के ‘लाखा’ से मिली यशपाल शर्मा को नई पहचान
अपनी पहली फिल्म से यशपाल को एक्टिंग का ब्रेक तो मिल गया, लेकिन उन्हें असली पहचान ऑस्कर में भेजी गई 2021 में रिलीज आमिर खान की फिल्म ‘लगान’ से मिली। लोग आज भी यशपाल शर्मा को ‘लगान’ के ‘लाखा’ के नाम से याद करते हैं।

Lakha lagaan aamir khan yashpal sharma edited

यशपाल शर्मा को ‘लगान’ मिलने का किस्सा बड़ा ही मजेदार है। क्राइम टीवी शो ‘सीआईडी’ से इस किस्से की शुरुआत होती है। दरअसल ‘सीआईडी’ के कुछ एपिसोड्स में डायरेक्टर आशुतोष गोवारिकर और यशपाल शर्मा ने एक साथ काम किया था।

डायरेक्टर बनने से पहले आशुतोष गोवारिकर भी एक एक्टर थे। ‘सीआईडी’ में काम करने के दौरान आशुतोष गोवारिकर ने यशपाल शर्मा की एक्टिंग को करीबी से देखा और तब उन्हें ‘लगान’ ऑफर की।

इसके बाद उन्हें एक के बाद एक फिल्म में काम करने का मौका मिला। वर्ष 2003 में सुधीर मिश्रा की फिल्म ‘हजारों ख्वाहिशें ऐसी’ में उन्होंने रणधीर सिंह का किरदार निभाया और इस फिल्म से उन्हें काफी ज्यादा लोकप्रियता प्राप्त हुई।

इसके बाद यशपाल ने छप्पन, अपहरण, सिंह इज किंग, आरक्षण, और राउडी राठौर जैसी विभिन्न फिल्मों में अपने शानदार अभिनय के द्वारा दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बनाई।

उन्होंने फिल्मों के साथ-साथ धारावाहिकों में भी काम किया। वर्ष 2010 में ज़ी टीवी के धारावाहिक ‘मेरा नाम करेगी रोशन’ में नकारात्मक भूमिका का किरदार निभाने का मौका मिला और उन्होंने इस किरदार को इस तरीके से निभाया कि वह उनकी एक ओर पहचान बन गई।

वर्ष 2011 में सब टीवी के धारावाहिक ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ में नजर आए थे, जिसमें उन्होंने कुल 37 एपिसोड में काम किया था। इसके बाद फिर से वह जीटीवी के धारावाहिक ‘नीली छतरी वाले’ में ‘भगवान दास’ की एक मुख्य भूमिका को निभाते हुए नजर आए थे।

यशपाल की हरियाणवी फिल्म ‘दादा लख्मी’ दुनियाभर में जीत चुकी है 60 अवॉर्ड
वर्ष 2014 में यशपाल शर्मा बॉलीवुड से ब्रेक लेकर हरियाणवी फिल्मों में काम करने लगे। उन्होंने हरियाणवी स्टेज ऐप पर काम किया और ठान लिया की अब हरियाणवी फिल्मों के दर्शकों को सिनेमा घरों तक पहुंचा कर रहेंगे।

उनका यह सपना दादा लख्मी फिल्म के रिलीज होने पर हुआ जब लाखों लोग पहले ही दिन सिनेमा घरों में फिल्म देखने पहुंचे। यही नहीं यशपाल शर्मा की फिल्म ‘दादा लख्मी’ ने हाल ही हुए नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स में हरियाणवी में बेस्ट फीचर फिल्म का अवॉर्ड जीता। ‘दादा लख्मी’ दुनियाभर में करीब 60 अवॉर्ड जीत चुकी है।

इस फिल्म के लिए यशपाल शर्मा को करीब 20 प्रोजेक्ट्स से हाथ धोना पड़ा था। इस बारे में खुद यशपाल शर्मा ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘घर चलाना था तो बीच-बीच में काम भी किया। लोग मेरा मजाक उड़ाते थे। हिम्मत तोड़ते थे, पर मैंने हार नहीं मानी। मैंने फिल्म पर फोकस रखा और मेहनत करता रहा।

Dada Lakhmi Movie OTT Release Date

उनकी ‘पगड़ी: द ऑनर’ और ‘सतरंगी’ जैसी हरियाणवी फिल्मों को भी खूब पसंद किया गया। दोनों ही फिल्मों ने नेशनल अवॉर्ड जीते।आज भी यशपाल शर्मा हरियाणवी फिल्मों में एक्टिव हैं, लेकिन वह बीच-बीच में हिंदी फिल्में भी कर रहे हैं। 2017 में वह सलमान खान की ‘ट्यूबलाइट’ में मेजर राजबीर टोकस के रोल में नजर आए थे।

यशपाल शर्मा की शादी
यशपाल शर्मा जी के निजी ज़िन्दगी की बात करें तो उनकी पत्नी प्रतिभा शर्मा जी एक अभिनेत्री और लेखिका हैं। प्रतिभा शर्मा ‘दास कैपिटल-ग़ुलामों की राजधानी’ और ‘नयी अम्मी’ जैसी लीक से हटकर कुछ फिल्मों में काम कर चुकी हैं।

यशपाल और प्रतिभा शर्मा के दो बच्चे हैं जिनमें एक बेटी है जिसका नाम सौम्या शर्मा है, और एक बेटा है जिसका नाम स्वयं शर्मा।

Yashpal Sharma family
जन्म 1 जनवरी 1965 , हरियाणा (हिसार)
पिता का नामप्रेमचंद शर्मा
माता का नाम
बड़े भाई का नामघनश्याम शर्मा
पत्नी का नामप्रतिभा शर्मा
बेटी का नामसौम्या शर्मा
बेटे का नामस्वयं शर्मा
पुरस्कार2004: नामांकित : गंगाजल के लिए फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ खलनायक पुरस्कार
2004: नामांकित : गंगाजल के लिए नकारात्मक भूमिका में आईफा में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
2004: नामांकित : गंगाजल के लिए स्क्रीन वीकली अवार्ड्स
2004: नामांकित : ज़ी सिने पुरस्कार गंगाजल के लिए
2010: जीता: नकारात्मक भूमिका में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए इंडियन टेली जूरी पुरस्कार
2014: जीता : नीली छतरी वाले के लिए पसंदीदा बेटे व दोस्ती का जी रिश्ते पुरस्कार
2022: जीता : हरियाणवी में सर्वश्रेष्ठ फ़ीचर फिल्म के लिए दादा लख्मी को 68वां राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार