हरियाणा की राजनीति में कांग्रेस पार्टी के इतिहास में कुमारी शैलजा पहली महिला प्रदेश अध्यक्ष हैं। हरियाणा कांग्रेस की कमान उन्हें 1990 में सौंपी गई थी। मनमोहन सिंह की कैबिनेट में कुमारी शैलजा मंत्री रह चुकी हैं।
राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन की शैलजा कुमारी अंबाला की सांसद रह चुकी हैं। उन्होंने इस निर्वाचन क्षेत्र में दो कार्यकालों तक कार्य किया। कुमारी शैलजा के बारे में कहा जाता है कि राजनीति को पूरा जीवन देने के लिए उन्होंने आज तक शादी नहीं की है।
कुमारी शैलजा का जन्म
पूर्व सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री कुमारी शैलजा का जन्म चंडीगढ़ के दलित नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी दलबीर सिंह के घर 24 सितंबर 1962 को हुआ। कुमारी शैलाज का गृहनगर अंबाला छावनी, हरियाणा में है।
उनके पिता दलबीर सिंह हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष और केन्द्र में कई बार मंत्री रहे हैं। 1987 में उनके निधन के बाद शैलजा ने पिता की राजनीतिक विरासत को संभाला।
शैलजा की माता का नाम कलावती भांखोर था, जिनका मार्च 2012 में निधन हुआ। एक स्त्री होने के बावजूद अपनी मां को मुखाग्नि देकर उन्होंने बेटे का धर्म निभाया।
शैलजा की प्रारंभिक शिक्षा
अविवाहित कुमारी शैलजा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से संबद्ध हैं। कुमारी शैलजा बचपन से ही पढ़ने में काफी तेज थीं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के जीसस एंड मैरी पब्लिक स्कूल में हुई। इसके बाद उन्होंने अपनी स्नातकोत्तर तथा एमफिल की शिक्षा चंडीगढ़ में पंजाब विश्वविद्यालय से प्राप्त की।
कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष कुमारी शैलजा—
हरियाणा कांग्रेस के इतिहास में कुमारी शैलजा पहली महिला प्रदेश अध्यक्ष हैं। हरियाणा कांग्रेस की कमान उन्हें 1990 में सौंपी गई थी। उसके बाद दोबारा हरियाणा कांग्रेस की भीतरी लड़ाई को शांत करने के लिए यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने कुमारी शैलजा को अध्यक्ष बनाया।
महिला कांग्रेस अध्यक्ष से शुरू हुआ राजनीतिक करियर
1987 में पिता की मृत्यु के बाद से शैलजा ने राजनीति में आने का फैसला किया। 1990 में महिला कांग्रेस की अध्यक्ष बनकर शैलजा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। उसके बाद 1991 में वे पहली बार 10वीं लोकसभा चुनाव में हरियाणा के सिरसा लोकसभा सीट से जीतकर नरसिम्हा राव सरकार में शिक्षा और संस्कृति राज्यमंत्री बनी।
कुमारी शैलजा 1992 में जुलाई से लेकर सितंबर 1995 तक यानी लगभग 3 साल दो महीने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के शिक्षा और संस्कृति विभाग की केंद्रीय उप मंत्री रहीं। इसी विभाग में लगभग एक साल कुमारी शैलजा राज्यमंत्री भी रहीं हैं।
साल 1996 में हुए लोकसभा चुनाव में एक बार फिर उन्होंने कांग्रेस के टिकट से सिरसा से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद उन्हें कांग्रेस संसदीय दल कार्यकारी समिति के सदस्य की जिम्मेदारी सौंपी गई। कुमारी शैलजा 1996-2004 तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सचिव के साथ पार्टी की प्रवक्ता भी रही हैं।
साल 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्हेंने अंबाला से चुनाव लड़ा और जीता। डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार में कुमारी शैलजा को शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय की राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) की जिम्मेदारी सौंपी गई। 2005 में राष्ट्रमंडल स्थानीय सरकार फोरम के संचालक मंडल के सदस्य निर्वाचित हुईं।
2007 में दो वर्ष के कार्यकाल के लिए शैलजा संयुक्त राष्ट्र पर्यावास की 21वीं शासी परिषद की अध्यक्ष चुनी गईं। साल 2009 में 15वीं लोकसभा चुनाव में कुमारी शैलजा ने चौथी बार जीत हासिल की। 31 मई 2009 से 18 जनवरी 2011 तक आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन और पर्यटन विभाग की केंद्रीय कैबिनेट मंत्री भी रहीं।
शैलजा ने 19 जनवरी 2011 से 28 अक्टूबर 2012 तक आवास और शहरी गरीबी उपशमन और संस्कृति मंत्रालय की केंद्रीय कैबिनेट मंत्री पद का दायित्व संभाला। उसके बाद 28 अक्टूबर 2012 से सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप कार्य कर रही थीं।
मंत्री पद से दिया इस्तीफा
27 जनवरी 2014 में शैलजा ने केंद्रीय कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद शैलजा राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुईं। उन्हें सितंबर 2019 में हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) का निर्वाचित अध्यक्ष चुना गया।
किन-किन विवादों ने घेरा कुमारी शैलजा को
11 मार्च, 2011 में शैलजा को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय से जालसाजी, आपराधिक धमकी, मनगढ़ंत और आपराधिक साजिश का आरोप लगाने वाली एक याचिका की सूचना मिली। याचिका में उन पर मिर्चपुर मामले में जाट नेताओं के खिलाफ वाल्मीकि समुदाय के सदस्यों को भड़काने का आरोप लगाया गया था।
उन पर नाबालिगों पर दबाव बनाकर और उन्हें खाली, गैर-न्यायिक दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर करके मुकदमेबाजी से खुद को बचाने का भी आरोप लगाया गया था।
6 अक्टूबर 2013 को “कालका-सैनगर शिर्डी सुपरफास्ट एक्सप्रेस” को चलाया गया। जिसमें शैलजा कालका से चंडीगढ़ के लिए सवार हुई। लेकिन जैसे ही ट्रेन मानकपुर शहर से गुजर रही थी, किसी ने खिड़की से पत्थर फेंका, जिससे शैलजा घायल हो गई। हमले के एक दिन बाद, शैलजा ने कहा कि उन्होंने अपने 20 साल से अधिक के राजनीतिक जीवन में कभी भी ऐसी परिस्थितियों का सामना नहीं किया।
जन्म | 24 सितंबर, 1962 |
जन्म स्थान | चंडीगढ़ |
गृहनगर | अंबाला छावनी, हरियाणा |
अभिभावक | पिता-चौधरी दलबीर सिंह (राजनीतिज्ञ) माता-कलावती भांखोर |
राजनीतिक दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) |