हिसार एयरपोर्ट

हिसार एयरपोर्ट पर 180 करोड़ का घोटाला! PM दौरे से पहले बढ़ा विवाद

हरियाणा

● हिसार एयरपोर्ट के निर्माण में भ्रष्टाचार के आरोप, PWD की भूमिका संदिग्ध
● DGCA ने AAI को काम सौंपने की सिफारिश, PWD को हटाया गया
● कांग्रेस सांसद जयप्रकाश ने जांच की मांग, 180 करोड़ के घोटाले का दावा

Hisar Airport: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हरियाणा दौरे से पहले हिसार एयरपोर्ट पर घमासान मच गया है। एयरपोर्ट निर्माण में हरियाणा के लोक निर्माण विभाग (PWD) की भूमिका को लेकर सवाल उठने लगे हैं। एविएशन मंत्री विपुल गोयल ने PWD की छुट्टी पर हैरानी जताई और इसे गंभीर मामला बताया है। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ जाकर इस मामले की रिपोर्ट लेंगे और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस सांसद जयप्रकाश (जेपी) ने भी भाजपा सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) की रिपोर्ट में 180 करोड़ रुपये के घोटाले की बात सामने आई है। सांसद जेपी ने तंज कसते हुए कहा कि भाजपा सरकार ‘बेर को अंगूर’ बताने की कोशिश कर रही है। उन्होंने हिसार एयरपोर्ट के रनवे की क्वालिटी और बिना नींव की चारदीवारी पर सवाल उठाते हुए इस पूरे मामले की जांच सीटिंग जज से कराने की मांग की है।

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कांग्रेस सांसद ने एयरपोर्ट की खामियों पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अगर कोई 70-सीटर विमान रनवे पर उतरता है और कोई पशु या खरगोश आ जाए, तो हादसा हो सकता है। उन्होंने कहा कि DGCA के अधिकारियों ने भी PWD को हटाने की बात कही है, जो हरियाणा सरकार के लिए शर्मनाक स्थिति है।

इस विवाद के बीच अब एयरपोर्ट से जुड़े सभी निर्माण कार्यों की जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग (PWD) से लेकर एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) को दे दी गई है। DGCA ने अपनी रिपोर्ट में साफ कर दिया कि PWD को अब एयरपोर्ट से जुड़े कोई भी कार्य नहीं सौंपे जाएंगे। यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि DGCA एयरपोर्ट पर हुए कार्यों से असंतुष्ट थी और इसी कारण एयरपोर्ट को लाइसेंस मिलने में देरी हुई।

गौरतलब है कि हिसार एयरपोर्ट का अधिकतर काम भाजपा-जेजेपी गठबंधन सरकार के कार्यकाल में हुआ। जब PWD को एयरपोर्ट का कार्य सौंपा गया था, उस समय विभाग की जिम्मेदारी तत्कालीन उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के पास थी। बाउंड्री वॉल और रनवे निर्माण भी उन्हीं के कार्यकाल में हुआ था। अब इस पूरे मामले की जांच की मांग उठ रही है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से पहले यह राजनीतिक रूप से बड़ा मुद्दा बन चुका है।