➤सोनीपत के कुंडली क्षेत्र में किराए के कमरे में लगी आग से 14 वर्षीय सूरज की मौत
➤13 वर्षीय पूजा गंभीर रूप से झुलसी, अस्पताल में भर्ती, हालत नाजुक
➤घटना ने प्रवासी मजदूरों के असुरक्षित रहन-सहन और मकान मालिकों की लापरवाही पर सवाल उठाए
हरियाणा के सोनीपत जिले के कुंडली क्षेत्र में देर शाम एक दर्दनाक हादसा सामने आया, जिसने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया। हर्षवर्धन कॉलोनी स्थित एक किराए के कमरे में अचानक आग लगने से 14 साल के सूरज की मौत हो गई, जबकि उसकी 13 वर्षीय मौसेरी बहन पूजा 70 प्रतिशत तक झुलस गई। पूजा को नरेला के अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसकी हालत बेहद गंभीर बनी हुई है।
परिवार मूल रूप से बिहार के सीतामढ़ी का निवासी है। सूरज के पिता सितेंद्र और मां सीता देवी पास की एक प्राइवेट कंपनी में मजदूरी करते हैं और रोज की तरह सुबह काम पर चले गए थे। हादसे के वक्त चारों बच्चे घर में अकेले थे। उन्हीं में से एक रिश्तेदार की बेटी पूजा भी बच्चों के साथ खेल रही थी।

शाम को कमरे में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग गई। आग इतनी तेज थी कि उसने पल भर में पूरे कमरे को अपनी चपेट में ले लिया। सूरज और पूजा अंदर के कमरे में फंस गए, जबकि सूरज की दो बहनें किसी तरह भागकर बाहर निकल आईं। आसपास के लोगों ने फायर बुझाने की कोशिश की, बच्चों को निकालने का प्रयास किया, लेकिन तब तक सूरज दम तोड़ चुका था और पूजा गंभीर रूप से जल चुकी थी।
पुलिस और एफएसएल टीम ने मौके पर जांच की। यह हादसा एक ऐसी बिल्डिंग में हुआ, जिसमें करीब 45 कमरे हैं, जो प्रवासी मजदूरों को किराए पर दिए गए हैं। इन कमरों में न तो फायर सेफ्टी के कोई इंतजाम हैं, न ही बिजली वायरिंग की हालत ठीक है। हादसे की मूल वजह भी बिजली की लचर व्यवस्था और लापरवाही को बताया जा रहा है।

कुंडली थाना प्रभारी सेठी मलिक ने कहा कि एफएसएल जांच करवाई जा रही है, और लापरवाही की पुष्टि होने पर मकान मालिक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जब सूरज के माता-पिता को बेटे की मौत की खबर मिली, तो वे फूट-फूटकर रो पड़े। मां सीता देवी बेसुध हो गईं और पिता सितेंद्र को किसी तरह संभाला गया। दूसरी ओर, पूजा के माता-पिता भी अस्पताल में बेहद चिंतित दिखे। कॉलोनी में मातम का माहौल है।
यह हादसा प्रवासी मजदूरों के असुरक्षित रहन-सहन और लालच में लापरवाही बरतने वाले मकान मालिकों पर सवाल खड़े करता है। न तो सुरक्षा मानक अपनाए जाते हैं और न ही बच्चों की सुरक्षा की कोई परवाह की जाती है। अगर बुनियादी सुविधाएं होतीं, तो शायद एक मासूम की जान बच सकती थी।