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Haryana के 3.64 लाख बच्चों को नहीं मिली किताबें: CM की डेडलाइन फेल, शिक्षा मंत्री ने मांगी जिलों से रिपोर्ट

हरियाणा

Haryana सरकार के दावों के बावजूद प्रदेश के 3 लाख 64 हजार 680 छात्रों को अब तक शैक्षणिक सत्र 2025-26 की पुस्तकें नहीं मिल सकी हैं। मुख्यमंत्री नायब सैनी ने 15 अप्रैल और शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने 21 अप्रैल तक सभी छात्रों को किताबें पहुंचाने की घोषणा की थी, लेकिन जमीनी हकीकत इसके उलट है।

📚 10.5 लाख किताबों में से अब तक 6.85 लाख ही वितरित

शिक्षा निदेशालय की रिपोर्ट के अनुसार, राज्यभर में इस सत्र के लिए 10,50,035 किताबों के सेट छात्रों को दिए जाने थे, जिनमें से अब तक केवल 6,85,355 सेट ही वितरित किए जा सके हैं। शिक्षा मंत्री ने जिलों से किताबों की स्थिति पर स्टेटस रिपोर्ट मांगी है और संबंधित अधिकारियों को 2-3 दिनों में वितरण पूरा करने के निर्देश दिए हैं।

🏫 कक्षा-वार किताब वितरण का आंकड़ा

कक्षाकुल छात्रमिलने वाली किताबेंबिना किताब वाले छात्र
पहली1,27,4089,06,89630,512
दूसरी1,23,63190,10631,525
तीसरी1,34,82192,00442,817
चौथी1,77,6111,76,783828
पांचवीं2,10,2571,89,51120,746
छठी2,19,2121,31,30787,905
सातवीं2,08,7851,23,88884,897
आठवीं2,12,9901,47,54065,450

कुल बिना किताब वाले छात्र: 3,64,680

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🗓️ सरकारी डेडलाइन्स बनी औपचारिकता

  • 15 अप्रैल: मुख्यमंत्री नायब सैनी ने दावा किया था कि सभी छात्रों तक किताबें पहुंचा दी जाएंगी।
  • 21 अप्रैल: शिक्षा मंत्री ने समीक्षा बैठक कर अंतिम डेडलाइन घोषित की थी।
  • वर्तमान स्थिति: अब भी लाखों छात्र बिना किताबों के पढ़ने को मजबूर हैं।

प्रकाशकों पर नहीं हुई कोई कार्रवाई

शिक्षा विभाग की ओर से अभी तक प्रकाशकों या जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कोई ठोस एक्शन या जुर्माना नहीं लगाया गया है। वहीं दूसरी ओर, छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, जिससे अभिभावकों में भी नाराजगी है।

📍 शिक्षा मंत्री का बयान

महिपाल ढांडा, शिक्षा मंत्री, हरियाणा:

“जिलों से किताबों की स्टेटस रिपोर्ट तलब की गई है। संबंधित एजेंसियों और अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि अगले दो-तीन दिनों में किताबें बच्चों तक पहुंचाई जाएं।”

🎓 प्रभाव और प्रतिक्रिया

हरियाणा जैसे शिक्षित राज्य में बच्चों को शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत में ही किताबें न मिलना शिक्षा व्यवस्था की कमजोरी को उजागर करता है। यह स्थिति खासकर गरीब व ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों को सबसे अधिक प्रभावित कर रही है।

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