लद्दाख हादसे में हरियाणा के 3 जवान शहीद, राजकीय सम्मान के साथ दी जाएगी अंतिम विदाई

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केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के जिला लेह में सेना के जवानों की एक गाड़ी खाई में गिरने से 9 जवानों की मौत हो गए। इन शहीदों में 3 जवान हरियाणा प्रदेश के हैं। जिनमें रोहतक, पलवल और नूंह के जवान शामिल हैं, जबकि चौथा घायल जवान अनुज भी हरियाणा के जींद जिले के हैं। जिनका आर्मी के अस्पताल में इलाज चल रहा है। शहीद जवानों का शव सोमवार को उनके पैतृक गांव लाया जाएगा, जहां राजकीय सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी।

सेना की 5 गाड़ियों में 34 जवानों का काफिला शनिवार को लेह से लद्दाख के क्यारी के लिए निकला था। जिनमें से एक गाड़ी सड़क से फिसलकर 60 फीट गहरी खाई में जा गिरी और हादसे में 9 सेना के जवानों की मौत हो गई थी। एक जवान घायल हो गया था। हादसे में शहीद हुए जवानों में नूंह से लांस नायक तेजपाल सिंह, पलवल के गांव बहीन से गनर मनमोहन सिंह और रोहतक के गांव गढ़ी खेड़ी से गनर डीएमटी अंकित शामिल हैं। वहीं अन्य जवानों में पंजाब के फरीदाकोट गांव सिरसड़ी से नायब सूबेदार रमेश लाल, तेलंगाना शाद नगर के नायक एन चंदा, पंजाब के गांव कामली के गनर तरणदीप सिंह, हिमाचल प्रदेश के शिमला से हवलदार विजय कुमार, मध्यप्रदेश के मुरैना से हवलदार महेंद्र सिंह और महाराष्ट्र के गनर बोहित वैभव हैं।

5 माह से अंकित के घर थी विवाह की खुशियां

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रोहतक के गांव गढ़ी खेड़ी निवासी अंकित के पिता जसबीर की करीब डेढ़ साल पहले मौत हो गई थी। इसके बाद परिवार का बोझ अंकित के कंधों पर आ गया था। पारिवारिक जिम्मेदारियों को समझते हुए वह वर्ष 2019 में सेना में भर्ती हुए थे और 311 मेड रेजिमेंट में तैनात थे। इसके बाद अंकित का 5 महीने पहले नरेला में विवाह हुआ था। विवाह से अंकित के घर खुशियों का माहौल था। पिता के जाने के बाद अंकित ने खुद अपने मकान का निर्माण करवाया था और छोटे भाई का भविष्य उज्ज्वल बनाने के लिए प्रयास कर रहा था, ताकि वह जीवन में आगे बढ़कर सफलता को हासिल कर सके।

तीन बहनों के इकलौते भाई थे पलवल के मनमोहन सिंह

पलवल के गांव बहीन से गनर मनमोहन सिंह वर्ष 2016 में आर्टिलरी विंग में गनर थे और उनकी करीब 5 महीने पहले ही लेह लद्दाख में पोस्टिंग हुई थी। मनमोहन अपने माता-पिता की चौथी संतान होने के साथ तीन बहनों के इकलौते भाई थे। हालांकि मनमोहन सिंह की तीनों बहनों का विवाह हो चुका है।

गांव के सरपंच विक्रम का कहना है कि मनमोहन सिंह पढ़ाई में काफी होशियार था और उनके अंदर देशभक्ति का जज्बा था। वह शुरू से ही फौज में भर्ती होने की चाह रखे हुए थे। शहादत की सूचना मिलते ही गांव में मातम पसर गया है। लोग शहीद के घर परिवार को सांत्वना देने के लिए पहुंच रहे हैं।

दो बच्चों के सिर से उठ गया पिता का साया

जिला नूंह के गांव संगेल निवासी तेजपाल सिंह भी लद्दाख हादसे में शहीद हो गए। 311 मेड रेजिमेंट लोकनायक तेजपाल सिंह वर्ष 2013 में सेना में भर्ती हुए थे। शहीद तेजपाल सिंह के 6 और 3 साल के दो बेटे हैं। आज जिनके सिर से पिता का साया उठ गया है। परिवार में उनके जाने से शोक की लहर है।

अनुज को आया फ्रैक्चर, आज चंडीगढ़ लाने की संभावना

लद्दाख में हादसे के दौरान जींद के गांव ढिगाना के 22 वर्षीय अनुज भी आर्मी के गाड़ी में सवार थे। हादसे के बाद उनकी जांघ में फ्रैक्चर आया है, जिनका सेना के अस्पताल में इलाज चल रहा है। सोमवार को जवान अनुज को चंडीगढ़ लाने जाने की संभावना है। चाचा राजबीर ने बताया कि अनुज वर्ष 2021 में आर्मी रिजर्व रेजिमेंट में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे। उनके परिवार में अनुज से बड़ी दो बहनें हैं, जिनका विवाह हो चुका है। अनुज के पिता बिजेंद्र सिंह भी सेना में थे, जिनका करीब 10 वर्ष पहले ड्यूटी के दौरान निधन हो गया था। इसके बाद अनुज की माता की भी काफी समय पहले मौत हो गई थी।