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हिसार में 42 साल पुराने हनुमान मंदिर को तोड़ने का नोटिस, जनता बोली – जान दे देंगे!”

हरियाणा हिसार

➤हिसार नगर निगम ने 42 साल पुराने हनुमान मंदिर को तोड़ने का नोटिस जारी किया।

➤मंदिर प्रबंधन को 7 दिन में मंदिर हटाने की चेतावनी, विरोध में VHP और बजरंग दल सक्रिय।

➤स्थानीय लोगों ने कहा- जान दे देंगे, लेकिन मंदिर को नहीं टूटने देंगे।

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हरियाणा के हिसार जिले में नगर निगम की ओर से एक पुराने हनुमान मंदिर को तोड़ने का नोटिस जारी किए जाने के बाद बवाल खड़ा हो गया है। शहर के शांति नगर क्षेत्र में स्थित इस मंदिर को हटाने को लेकर नगर निगम ने 7 दिन की मोहलत दी थी, लेकिन इस चेतावनी का अब स्थानीय लोगों और धार्मिक संगठनों द्वारा तीव्र विरोध शुरू हो गया है।

नगर निगम के संयुक्त आयुक्त द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि मंदिर नगर निगम की ज़मीन पर बने पार्क में अवैध रूप से करीब 101 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में बना है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए नोटिस में स्पष्ट किया गया कि सार्वजनिक स्थानों जैसे सड़क, पार्क या अन्य सरकारी भूमि पर किसी भी प्रकार का अनधिकृत धार्मिक निर्माण न तो किया जा सकता है और न ही उसकी अनुमति दी जा सकती है।

निगम ने मंदिर प्रबंधक व पुजारी को निर्देश दिया है कि वे सात दिनों के भीतर मंदिर को स्वयं हटाएं या लिखित में कार्यालय को सूचित करें। अन्यथा, निगम मंदिर को जबरन हटाएगा और तोड़फोड़ में आने वाला सारा खर्च मंदिर प्रबंधक से वसूला जाएगा। इसके अतिरिक्त, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना के तहत दंडात्मक और कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।

मंदिर के समर्थन में उतरे विहिप और बजरंग दल

नगर निगम के इस नोटिस के खिलाफ विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल खुलकर सामने आ गए हैं। शांति नगर के लोगों ने भी नोटिस के विरोध में आवाज बुलंद की है। शनिवार शाम को मंदिर कमेटी ने दोनों संगठनों को सूचना दी, जिसके बाद करीब 200 लोगों ने एक सामूहिक आवेदन पत्र पर हस्ताक्षर कर निगम के आदेश का विरोध जताया।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह मंदिर क्षेत्र का एकमात्र धार्मिक स्थल है, जहां हजारों लोग पूजा करते हैं। लोगों की धार्मिक भावनाएं इससे गहराई से जुड़ी हुई हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे जान दे देंगे, लेकिन मंदिर को टूटने नहीं देंगे।

मंदिर समिति का आरोप- समयसीमा पहले ही खत्म

पार्क मंदिर समिति के प्रधान डॉ. राजकुमार ढींगड़ा ने बताया कि नगर निगम ने यह नोटिस शनिवार रात मंदिर पर चिपकाया, जबकि नोटिस पर 7 दिन की समयसीमा दर्ज है। ऐसे में समयसीमा पहले ही पूरी हो चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि मंदिर से किसी को कोई असुविधा नहीं है और यह वर्षों से आस्था का केंद्र बना हुआ है।

डॉ. ढींगड़ा ने कहा, “नगर निगम कोर्ट का हवाला देकर मंदिर को हटाना चाहती है, लेकिन यह मंदिर हजारों लोगों की श्रद्धा से जुड़ा है। क्षेत्र में हजारों परिवार रहते हैं और उनके लिए यह मंदिर इकलौता सहारा है।”

भविष्य में बड़ा आंदोलन संभव

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए इलाके में तनाव का माहौल है। विहिप, बजरंग दल और स्थानीय लोग यदि प्रशासन के आगे झुकने को तैयार नहीं हुए, तो यह मुद्दा एक बड़े धार्मिक व सामाजिक आंदोलन का रूप ले सकता है। प्रशासन फिलहाल स्थिति पर नजर बनाए हुए है।