हरियाणा कांग्रेस में लंबे समय से चली आ रही गुटबाजी और आंतरिक कलह पर अब पार्टी हाईकमान ने सख्त रुख अपना लिया है। प्रदेश कांग्रेस के नए संगठन के गठन को लेकर वीके हरिप्रसाद चंडीगढ़ पहुंच गए हैं। उनका दो दिवसीय चंडीगढ़ दौरा कई बड़े फैसलों का गवाह बन सकता है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने साफ निर्देश दिए हैं कि हर हाल में दो महीने के भीतर संगठन को दुरुस्त किया जाए, चाहे इसके लिए सख्त कदम ही क्यों न उठाने पड़ें।
गुटबाजी पर हाईकमान की कड़ी नजर, विरोध करने वालों पर हो सकती है कार्रवाई
हरियाणा कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट और अन्य नेताओं के बीच रस्साकशी किसी से छिपी नहीं है। लंबे समय से संगठन में शक्ति संतुलन को लेकर अंदरूनी खींचतान जारी है। अब हाईकमान ने साफ कर दिया है कि संगठन पर एक गुट का वर्चस्व बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऐसे में हरिप्रसाद का यह दौरा उन नेताओं के लिए परीक्षा साबित होगा, जो अपने वफादारों को संगठन में जगह दिलाना चाहते हैं। सूत्रों के मुताबिक, अगर किसी गुट ने खुले तौर पर विरोध किया या बदलाव में बाधा डालने की कोशिश की, तो पार्टी हाईकमान कड़ी कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगा।
विपक्ष के नेता का पेंच: हुड्डा को मिलेगी कमान या नए चेहरे पर होगी मुहर
हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस ने अब तक विपक्ष के नेता (LOP) की घोषणा नहीं की है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा इस पद के सबसे मजबूत दावेदार हैं, लेकिन पार्टी के कुछ नेता इस फैसले को लेकर असंतुष्ट हैं। हाईकमान अभी भी इस मुद्दे पर विचार कर रहा है और हरिप्रसाद की यह बैठक LOP के चयन का रास्ता साफ कर सकती है।
अगर हुड्डा के विरोध में पार्टी के अन्य गुटों से आवाजें उठती हैं, तो हाईकमान नए चेहरे पर दांव लगा सकता है। इससे न केवल हरियाणा की कांग्रेस राजनीति में उथल-पुथल मचेगी, बल्कि संगठन में नए समीकरण भी बन सकते हैं।
जिलाध्यक्षों और पदाधिकारियों की तैनाती जल्द
हरियाणा कांग्रेस में अभी तक किसी भी जिले में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति नहीं हुई है। संगठन का ढांचा अधूरा है। अब हाईकमान ने इस प्रक्रिया को जल्द पूरा करने के निर्देश दिए हैं।
बजट सत्र के दौरान विधायकों की नब्ज टटोलेंगे हरिप्रसाद
26 मार्च से हरियाणा विधानसभा का बजट सत्र फिर से शुरू हो रहा है। इस दौरान सभी कांग्रेस विधायक चंडीगढ़ में रहेंगे, जिससे हरिप्रसाद को उनकी राय जानने और संगठन को लेकर उनकी मंशा परखने का मौका मिलेगा। पिछली बार की बैठक में कुछ विधायक अपनी बात नहीं रख पाए थे, लेकिन इस बार उन्हें खुलकर बोलने का अवसर मिलेगा।