(समालखा/ अशोक शर्मा) हरियाणा के समालखा में बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय महावटी में एक महत्वपूर्ण जागरूकता सत्र आयोजित किया गया। इस सत्र में छात्र-छात्राओं और अध्यापकों को बाल विवाह के खिलाफ जागरूक किया गया, जिसमें हेल्थ निरीक्षक डॉ. नितेश ने बताया कि बाल विवाह भारत में ऊंची मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर का मुख्य कारण है।
सामुदायिक कार्यकर्ता दीपिका ने बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत बाल विवाह को अवैध और दंडनीय अपराध बताया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस कानून के तहत 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के का विवाह करने पर दो साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।

समाज पर असर
विद्यालय के प्रधानाचार्य संजीव कुमार ने कहा कि बाल विवाह के कारण लड़कियों की शिक्षा रुक जाती है और वे कम उम्र में ही घर के कामों में व्यस्त हो जाती हैं, जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास में रुकावट डालती हैं।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
स्वास्थ्य निरीक्षक डॉ. नितेश ने कहा कि बाल विवाह से गर्भवती महिलाओं और बच्चों की मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा है, जो स्वास्थ्य विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है। उन्होंने इस मुद्दे पर आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया।

इस कार्यक्रम में उझा गांव के प्राइमरी हेल्थ सेंटर में आशा कार्यकर्ताओं के साथ भी बाल विवाह पर चर्चा की गई, जहां उन्हें इस अपराध के खिलाफ सतर्क रहने और तत्काल सूचना देने की सलाह दी गई। यह जागरूकता अभियान भविष्य में बाल विवाह के खिलाफ एक बड़ा बदलाव लाने की ओर कदम बढ़ाने का प्रयास है।