नूंह में दंगे के बाद सरकार के अवैध निर्माण गिराने की कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने स्टे कर दिया है। कोर्ट में याचिका दायर की गई थी कि दंगे के बाद बदले की कार्यवाही के तहत निर्माण ढहाए जा रहे हैं। वहीं भाजपा के मीडिया प्रभारी प्रवीण अत्रे ने बताया कि कोर्ट के जो भी आदेश आए हैं, उन्हें देखा जाएगा। इसके बाद आगे की कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।
प्रवीण अत्रे ने कहा कि अवैध निर्माण की पहचान कर कब्जे हटाना सरकार का काम है। सरकार नियमों के अनुसार ही काम कर रही है। उनका आरोप है कि कुछ विपक्षी दल इस पर राजनीति कर रहे हैं। इस तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए। नूंह हिंसा के बाद हरियाणा सरकार लगातार एक्शन मोड़ में नजर आ रही थी। जिसके तहत करीब 250 झुग्गियों और 30 अवैध मकान व दुकानों पर बुलडोजर चलाकर ध्वस्त किया गया था। न्यायमूर्ति जीएस संधवालिया की पीठ ने नूंह हिंसा के बाद हुए बुलडोजर एक्शन पर संज्ञान लेते हुए कार्यवाही पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद उपायुक्त ने संबंधित अधिकारियों को अवैध निर्माण की तोड़फोड़ को रोकने के आदेश दिए हैं।
पांचवें दिन हाईकोर्ट का हस्तक्षेप
हाईकोर्ट ने प्रभावित पक्षों को बिना नोटिस दिए सरकार के तोड़फोड़ अभियान पर सवाल उठाया है। हाईकोर्ट का हस्क्षेप तब आया, जब सरकार का तोड़फोड़ अभियान पांचवें दिन में प्रवेश कर चुका था। पिछले चार दिनों में अभियान के तहत कई अवैध मकानों, दुकानों व झुग्गियों को गिराया गया है।