हरियाणा के जिला कुरुक्षेत्र में आयोजित अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में किन्नर समाज भी हस्तर्निमित शिल्प कलाएं लेकर पहुंचा। उनका कहना है कि वह समाज में सम्मान पाने की लड़ाई में आत्मनिर्भर बनता चाहते हैं, ताकि किसी के आगे हाथ न फैलाना पड़े। वह अपनी मेहनत की कमाई से गुजर बसर कर सकें। उन्होंने बताया कि वह अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में 5 वर्षों से स्टॉल लगा रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में जहां देश के कोने-कोने से शिल्प कलाकार अपनी शिल्प कलाए लेकर पहुंचे, वहीं देहरादून से किन्नर समाज के कुछ लोगों ने भी अपनी हस्तर्निमित शिल्प कलाएं की स्टॉल लगाकर समाज को एक बड़ा संदेश देने का प्रयास किया। अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में किन्नर समाज से शिल्प कलाए लेकर पहुंचे किन्नर कैफ और एलिस का कहना है कि उन्हें मांगना पसंद नहीं था। वह दूसरों के आगे हाथ नहीं फैलाना चाहते थे। वह समाज में आम लोगों की तरह शान से जीना चाहते हैं। इसी उद्देश्य के साथ वह गीता जयंती कुरुक्षेत्र में पिछले 5 वर्षों से लकड़ी से सामान तैयार करके ला रहे हैं। उनका हुनर यहां पहुंच रहे पर्यटकों को काफी पसंद आ रहा है।

किन्नर कैफ और एलिस ने बताया कि उनकी ओर से तैयार किए गए लकड़ी से बने बाउल, ड्राई फ्रूट, ट्रे और खिलौनों को महोत्सव में लोग खूब पसंद कर रहे हैं। ब्रह्मसरोवर तट पर किन्नर समाज की ओर से लकड़ी से तैयार आइटमों के स्टॉल को देखकर हर कोई ठहर सा जाता है। उनके द्वारा तैयार आइटमों को लोग पसंद के साथ खरीद रहे हैं। इन आइटमों में रोजमर्रा की चीजों से जुड़ी छोटी-छोटी चीजें भी शामिल हैं। इनके अलावा तैयार की गई आइटमों में शोपीस आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।

समाज की नजरों ने छुड़वाई पढ़ाई तो लकड़ी का सामान बनाने में बन गए माहिर
किन्नर कैफ का कहना है कि वह बचपन से ही पढ़ना-लिखना चाहते थे, लेकिन जब वह घर से निकलते थे तो समाज उनको अलग ही नजरों से देखा था। ऐसे में उनका घर से निकलना भी मुश्किल हो रहा था। जबकि वह पढ़-लिखकर कुछ बनना चाहते थे। उन्हें 5वीं कक्षा में ही पढ़ाई को बीच में छोड़ना पड़ा। उनका कहना है कि हमें दुनिया से अलग समझा जाता है, जबकि हम भी इसी समाज का एक हिस्सा हैं। उन्होंने बताया कि करीब 20 साल पहले उन्होंने लकड़ी का काम सीखना शुरू किया और आज उन्हें लकड़ी के काम में महारत हासिल है। वह अब तक पंजाब, हिमाचल, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में कई जगहों पर अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं।

लोगों का मिल रहा प्यार, लेकिन सरकार से नहीं मिला कोई सम्मान
उन्होंने बताया कि जब वह विभिन्न प्रदेशों में अपनी कला को प्रदर्शित करते हैं तो लोग उन्हें बहुत प्यार देते हैं। जहां भी मेला लगता है तो वहां का प्रशासन भी उन्हें कभी दुकान देने से मना नहीं करता। उन्हें भी अन्य लोगों की तरह स्टॉल लगाने में पूरा सहयोग किया जाता है। इसके बावजूद आज तक उन्हें सरकार की ओर से किसी तरह का सम्मान नहीं मिला है। उन्होंने बताया कि वह टीम में 5 लोग हैं, जो सभी किन्नर समाज से हैं। वह आपस में मिलकर लकड़ी के सामान को तैयार करते हैं। फिलहाल गीता जयंती महोत्सव में 3 लोग ही सामान लेकर स्टॉल लगाने पहुंचे हैं।

5 वर्ष पहले शुरू किया रोजगार, मेहनत से कमाई करके कर रहे गुजारा
किन्नर एलिस का कहना है कि वह पिछले 5 वर्षों से कैफ के साथ मिलकर लकड़ी का सामान तैयार कर रहे हैं। उन्हे भी मांगना पसंद नहीं था, इसलिए कैफ के साथ जुड़कर उन्होंने यह रोजगार शुरू किया था। उनका कहना है कि मेहनत के बाद उन्हें जो भी पैसा इस काम से मिलता है, उससे हमारा गुजारा अच्छे से चल जाता है। अपनी मेहनत के बाद उन्हें दूसरों से मांगने की जरूरत नहीं पड़ती। उन्होंने कहा कि वह अपनी मेहनत को बरकरार रखेंगे।
