Bhiwani: ओबीसी बिग्रेड, जनसंघर्ष समिति, जनलघु उद्योग व्यापार मंडल तीन संगठनों ने मिलकर मंगलवार को आपदा प्रबंधक अधिकारी के माध्यम से उपायुक्त महाबीर कौशिक के नाम ज्ञापन सौंपा। इस मौके पर ओबीसी बिग्रेड के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र तंवर, जनसंघर्ष समिति से कामरेड ओमप्रकाश, जनलघु उद्योग व्यापार मंडल से देवराज महता, सुरेश प्रजापति, रणबीर भाटी व सज्जन कुमार ने ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि लाल डोरे की जमीन जो पुराना शहर है, उसमें 80 प्रतिशत लोगों के पास मकान व दुकानों की रजिस्ट्रियां नहीं है और उनकी रजिस्ट्री सरकार ने बंद कर रखी है।
उन्होंने आरोप लगाया कि नायब तहसीलदार और तहसीलदार को जो व्यक्ति बड़े लेवल का घूस देता है, उनकी रजिस्ट्रियां हो जाती है। ऐसे में इस मामले की सीबीआई जांच किए जाने की जरूरत है, ताकि बड़े स्तर पर हो रहे भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हो सकें। वे सरकार से पूछना चाहते है कि जिस प्रोपर्टी की पीआईडी है, उस कमेटी में 50 साल से उसका नाम दर्ज है, जो व्यक्ति टैक्स भर रहा है और कब्जा उसके परिवार का है तो रजिस्ट्री करने में समस्या क्या है।
पीआईडी के नाम पर आम लोगों की जेब से पैसा निकाला गया
पहले तो पीआईडी के नाम पर आम लोगों की जेब से पैसा निकाला गया, क्योंकि कमेटी में जो भी स्टाफ सदस्य पीआईडी बनाने का काम करते है, वो बगैर पैसे लिए पीआईडी बनाते ही नही और जब पीआईडी बन गई और वो व्यक्ति टैक्स भर रहा है तो सरकार रजिस्ट्रियां क्यो नहीं करती है।
उन्होंने कहा कि खट्टर सरकार ने लाल डोरे की जमीन जो गांवों में है, उसको लेकर एक नियम बनाया था और जो शहर में कमेटी या सरकारी जमीन पर जो भी दुकान बनी हुई थी, उसके लिए एक नियम बनाया था और उसका मालिकाना हक जो व्यक्ति किराएदार था, उसको दे दिया गया था, लेकिन शहर के मामले में अभी तक ऐसा कोई नियम नहीं बनाया गया और यहां तक आजादी के समय हुए दंगों में जो परिवार पाकिस्तान से यहां डायवर्ट हुआ था।
बड़ा आंदोलन करने पर मजबूर
उसके लिए सिर्फ एक जमीन का अलॉटमेंट लैटर दे दिया गया। उस जमीन की कोई रजिस्ट्री नहीं है, जैसे कृष्णा कॉलोनी, रामनगर, रामगंज आदि महोल्ले और अब वहां के व्यक्ति ना तो अपनी जमीन को बेच सकते है और ना ही कोई सरकारी फायदा उठा सकते है तथा ना ही कोई लोन ले सकते है। जिससे आम आदमी बहुत परेशानी में है। मांगपत्र के माध्यम से उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि या तो इसका हल जल्द निकाला जाए, नहीं तो बड़ा आंदोलन करने पर मजबूर होंगे।