हरियाणा सरकार ने हाल ही में राज्य के बिजली उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ी राहत का ऐलान किया है। वित्त वर्ष 2024-25 में बिजली के बिलों में कोई बढ़ोतरी नहीं की जाएगी। इसके पीछे का कारण आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव है। हरियाणा की बिजली वितरण कंपनियों ने 2024-25 वित्तीय वर्ष के लिए कोई नया बिजली शुल्क प्रस्तावित नहीं किया है। उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (यूएचबीवीएन) और हरियाणा बिजली वितरण निगम (डीएचबीवीएन) ने हरियाणा विद्युत नियामक आयोग (एचईआरसी) के सामने एआरआर (वार्षिक राजस्व आवश्यकताएं) दायर कर दी हैं।
बता दें कि कंपनियों ने एक 35 हजार करोड़ रुपए के वार्षिक राजस्व आवश्यकताओं (एआरआर) का प्रस्ताव दिया है, जिसमें यूएसबीवीएन द्वारा दायर 17.33 हजार करोड़ रुपए भी शामिल हैं। कंपनियों ने 2021-22 में ईंधन अधिकार समायोजन शुल्क (एफएसए) को छोड़कर तीन सालों से बिजली के बिल में कोई बढ़ोतरी नहीं की है। इस निर्णय के पीछे की मुख्य कारण है 2024 में होने वाले चुनाव। हरियाणा में बिजली के टैरिफ में बढ़ोतरी करना राजनीतिक दलों के लिए एक बड़ा रिस्क होता है, खासकर जब विपक्षी दल इस पर हमला करते हैं। इसमें विशेषकर आप सरकार का जिक्र करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि सीमावर्ती राज्य पंजाब में आप सरकार है, जहां बिजली का बिल लोगों को मुफ्त मिल रहा है।
डीएचबीवीएन के अधिकारियों ने बताया कि एआरआर में सुझाव दिया गया है कि इस साल बिजली खरीद के लिए 12,293 करोड़ रुपए की मंजूरी दी जाएगी। जिसमें 24,871 मिलियन यूनिट की खपत का अनुमान है। इसमें लाइन लॉस को 10.75 प्रतिशत बताया गया है। नवंबर में एआरआर दायर किया गया है, जिस पर एचईआरसी फरवरी 2024 में सुनवाई करेगा। इस निर्णय से हरियाणा के बिजली उपभोक्ता संतुष्ट हो सकते हैं, जबकि राजनीतिक दल चुनावी माहौल में बदलते समय में इसे भी एक राजनीतिक निर्णय के रूप में देख सकते हैं।