पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के परिवार ने हरियाणा कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा की बादशाहत को स्वीकार कर लिया है। इस बात को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। बता दें कि रविवार सुबह कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में पार्टी ज्वाइन करने के बाद हिसार से सांसद बृजेंद्र सिंह भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मिलने पहुंचे। सूत्रों की मानें तो दोनों नेताओं के बीच बातों का अभी खुलासा नहीं हुआ है। इस मौके पर कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष उदयभान भी मौजूद रहे।
गौरतलब है कि हिसार से सांसद बृजेंद्र सिंह ने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। बृजेंद्र सिंह मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। वह दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर कांग्रेस में शामिल हुए। बृजेंद्र सिंह ने कहा कि किसानों, अग्निवीर, महिला पहलवान जैसे कई ऐसे मुद्दे थे, जिसको लेकर में वह भाजपा में असहज थे। हालांकि मैं इसके लिए लड़ता रहा हूं, और आगे भी लड़ता रहूंगा। हरियाणा में भाजपा-जजपा गठबंधन भी पार्टी छोड़ने का एक कारण है। 2 अक्तूबर को हुई रैली में भी यह मुद्दा उठाया गया था।

बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह वर्ष 2014 में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए थे। इसके बाद उन्हें राज्यसभा का सदस्य बनाकर केंद्रीय मंत्री बनाया गया था। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बीरेंद्र सिंह ने अपने बेटे बृजेंद्र सिंह को टिकट दिलाया था। बताया जा रहा है कि बृजेंद्र सिंह की भाजपा से टिकट कटने की संभावना मानी जा रही थी। जजपा के साथ गठबंधन जारी रखने पर बीरेंद्र और बृजेंद्र सिंह ने भाजपा छोड़ने का ऐलान किया था। भाजपा ने जजपा को एनडीए में शामिल किया है। हालांकि भाजपा ने हरियाणा में जजपा के साथ सीट को लेकर कोई ऐलान नहीं किया है।

बताया जा रहा है कि भाजपा की टिकट को लेकर कोर कमेटी की एक बैठक रविवार देर शाम होने की संभावना जताई जा रही है। इसमें भाजपा कुछ सीट पर प्रत्याशी घोषित कर सकती है। सूत्रों की मानें तो बृजेंद्र सिंह सीट को लेकर आश्वस्त नहीं थे। भाजपा के आंतरिक सर्वे में कार्यकर्ताओं ने नाराजगी जाहिर की थी। इसके बाद हिसार लोकसभा से पूर्व वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु, पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई और डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा को चुनावी रण में उतारने पर विचार चल रहा था।


