भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को राजस्थान, मध्य प्रदेश, और छत्तीसगढ़ में बड़ी जीतों के बाद हरियाणा में भी ‘मोदी मैजिक’ चाहिए। जहां भी चुनावों में पार्टी ने बिना किसी नए मुख्यमंत्री उम्मीदवार के बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही चुनावी मुद्दा बनाया था। भाजपा की इच्छा है कि वोटर्स उन्हें मोदी के नाम पर वोट दें, चाहे वो लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा का।
हरियाणा में भाजपा को चुनावों में बड़ा दबाव महसूस हो रहा है। पार्टी यहां पिछले 10 सालों से सरकार चला रही है, लेकिन 2019 के चुनावों में थोड़ी सी कमजोरी आई थी। उस समय भाजपा ने 46 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि बहुमत के लिए 46 सीटों की आवश्यकता थी। इसके बाद भाजपा ने जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के साथ गठबंधन बनाया और सरकार बनाई, परन्तु उन्हें विधानसभा में बहुमत नहीं मिला। इस बार अगर भाजपा को फिर से सरकार बनानी है, तो वो इस बार अकेले चुनाव लड़ना चाहेगी।
यदि वे लोकसभा चुनावों में जेजेपी के साथ गठबंधन नहीं कर पाते हैं, तो विधानसभा चुनावों में उन्हें और भी मुश्किलें झेलनी पड़ सकती हैं। इससे कांग्रेस को भी चुनौती हो सकती है, क्योंकि वो भी मोदी के प्रचार से प्रभावित हुई है। अगर बीजेपी इस बार विधानसभा चुनावों में मोदी के नाम पर चुनाव लड़ती है, तो यह चुनौती हो सकती है कि कांग्रेस की स्थिति मजबूत होने की बजाय और दुश्मनी में भी वृद्धि हो सके।